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चीनी मिलों को लगातार भेजा जा रहा गन्ना, फूट सकता है कभी भी आक्रोश
मेरठ: यूपी में ऐसा पहली बार हो रहा है, जब तमाम चीनी मिल तो दो माह से चल रही हैं, लेकिन गन्ना मूल्य अभी तक सरकार ने घोषित नहीं किया है। किसान को यह भी नहीं पता है कि जो गन्ना चीनी मिलों पर जा रहा है उसका मूल्य क्या होगा? गन्ना मूल्य में वृद्धि होगी या फिर नहीं, लेकिन किसान चीनी मिलों पर अपना गन्ना लगातार भेज रहे हैं। आमतौर पर यह होता था कि गन्ना सत्र आरंभ होने से पहले ही गन्ना मूल्य प्रदेश सरकार घोषित कर देती थी।
इसमें वृद्धि करनी हो या फिर जो पूर्व में घोषित है, वही गन्ना मूल्य रखना हो यह भी सरकार क्लियर कर देती थी, लेकिन इस बार यूपी सरकार ने गन्ना मूल्य घोषित ही नहीं किया, जिसके चलते किसानों को नहीं पता कि किस रेट में उनका गन्ना चीनी मिलपर जा रहा है। गन्ना मूल्य में लगता है सरकार वृद्धि करने के मूड में नहीं है। यही वजह है कि गन्ना मूल्य में वृद्धि की जाती तो पहले ही गन्ना मूल्य घोषित कर दिया जाता।
क्योंकि ऐसे में कोई आंदोलन खड़ा ना हो जाए, इसको देखते हुए यूपी सरकार ने गन्ना मूल्य घोषित नहीं किया। बिजली के दामों में वृद्धि कर दी गई। ट्यूबवेलों के बिजली बिलों में वृद्धि कर दी गई। यूरिया के दाम बढ़ा दिये गए। यूरिया के बोरे का वजन कम कर दिया गया। किसानों के पशुओं का राशन महंगा कर दिया गया। इस तरह से किसान पर दोहरी मार पड़ रही हैं, लेकिन गन्ना मूल्य में किसी तरह की वृद्धि अभी नहीं हुई हैं। अब विपक्ष ने भाजपा के खिलाफ गन्ना मूल्य घोषित नहीं करने पर मुद्दा बना दिया हैं।
रालोद के राष्टÑीय अध्यक्ष जयंत चौधरी के आह्वान पर पार्टी के नेता प्रदेश व्यापी इसको लेकर आंदोलन खड़ा कर रहे हैं। प्रत्येक तहसील स्तर पर धरना-प्रदर्शन करने का ऐलान किया गया हैं, जिसके चलते पश्चिमी यूपी की किसानों बेल्ट में भाजपा के खिलाफ माहौल खड़ा किया जा रहा हैं। भाजपा को पिछले विधानसभा चुनाव में भी पश्चिमी यूपी से अच्छी खासी सीटें मिली थी, जिसके बाद से ही विपक्ष भाजपा को गन्ना मूल्य के मुद्दे पर घेराबंदी करने में जुटा हैं।
भाकियू के राष्टÑीय प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत भी कह चुके हैं कि सरकार को गन्ना मूल्य घोषित कर देना चाहिए। क्योंकि किसानों को भी पता चलेगा कि भाजपा किसान हित में काम कर रही हैं या फिर व्यापारी हित में। भाकियू ने तो शामली में भी आंदोलन किया था, मगर तब बकाया गन्ना भुगतान मुद्दा था। अब गन्ना मूल्य के सवाल पर भी किसानों को एकजुट करने के प्रयास किये जा रहे हैं। पश्चिमी यूपी गन्ना बेल्ट हैं, इसमें किसानों को एक प्लेटफार्म पर एकत्र करने की तैयारी चल रही हैं।
हालांकि भाजपा भी पश्चिमी यूपी में घूम रही हैं। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र चौधरी खुद पश्चिमी यूपी से ताल्लुक रखते हैं। इसी वजह से वह खासकर पश्चिमी यूपी को फोकस करते हुए चल रहे हैं। हाल ही में कांग्रेस के पूर्व राष्टÑीय अध्यक्ष राहुल गांधी की ढाई कदम यात्रा ने भी यूपी की राजनीति में हलचल पैदा कर रखी हैं। राहुल गांधी भी किसानों से सरकार से नहीं डरने का आह्वान करके गए हैं।
किसानों के मुद्दों को लेकर राहुल गांधी पांच मिनट तक बोले तथा किसानों पर भाषण फोकस कर दिया। इससे स्पष्ट है कि किसान बड़ी ताकत हैं, जिसको लेकर विपक्षी दल एकजुट कर रहे हैं, लेकिन इसमें भाजपा की रणनीति क्या होगी? अभी यह कहना मुश्किल होगा, लेकिन विपक्ष किसानों को एकजुट कर पायेगा या फिर नहीं, यह अभी भविष्य के गर्भ में हैं।