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स्त्री शब्द का मतलब क्या है ?
वाराणसी। स्त्री शब्द स्त्र धातु से बना है जिसका अर्थ होता है विस्तार करना। महिला महानता की प्रतीक है। बहनें आज अपने शरीर और अपने परिवार के बारे में ही सोचती हैं। समाज के बारे में उनकी सोच बने। उक्त विचार विनोबा विचार प्रवाह द्वारा ग्लोरियस अकादमी वाराणसी में आयोजित नंदिनी लोकमित्र शिविर के दूसरे दिवस बहनों को थाई मंदिर सारनाथ में संबोधित करते हुए कहे। ब्रम्हविद्या मंदिर पवनार में शिक्षित अशिक्षित बहनें मिलकर मजदूरी के क्षेत्र में ब्रह्मविद्या का प्रयोग कर रही है। महिलाओं को समाज में शास्त्रों में सुधार , परपराओं में सुधार और मूल्यों में सुधार करने की जरूरत है।यह बदलाव बहनें करेंगी तभी समाज में संभव है। घर में बच्चों में अगर असमानता है तो महिला ही उसे दूर कर सकती है। बहनों का चिंतन आत्मा की ओर अब बढ़ना चाहिए।
जमनालाल बजाज पुरुस्कार से सम्मानित विमला बहन ने कहा कि हमें बाबा ने बताया कि कंप्लेंट ,कंपटीशन कंपैरिजन की तीनों सी में नहीं पड़ना चाहिए। जननी माता गो माता और धरती माता की उपासना करनी है। उन्होंने विनोबा जी के पांच ब की सेवा अर्थात बालक वृद्ध विधवा विकलांग बीमार की सेवा के गांव गांव में केंद्र खोलने चाहिए। अमेरिका से पधारी स्वस्ति बहन ने भारत की संस्कृति का सम्मान करते हुए कहा कि यहां बहनें ही उसकी रक्षक हैं।
हरिजन सेवक संघ के राष्ट्रीय सचिव श्री संजय राय ने बहनों को सेवा समर्पण की बात कही ।उन्होंने सभी को संकल्प के लिए कहा। कि आपका अपना समय समाज के विकास के लिए लगे। नंदिनी शिविर जो आगे ऋषिकेश उज्जैन बंगलोर समस्तीपुर लखीमपुर असम इंदौर आदि में होंगें। उत्तर प्रदेश सर्वोदय मंडल के अध्यक्ष श्री रामधीरज भाई ने कहा कि जिस समाज में लड़की की शादी के समय किस तरीके से देखने और पसंद करने की प्रथाएं हो उसे हम लक्ष्मी दुर्गा सरस्वती का समाज कैसे कह सकते हैं।
शिक्षा विभाग के अधिकारी श्री नरेंद्र प्रसाद पांडे ने कहा कि महिलाओं का इस प्रकार के शिविरों में आना ही बहुत बड़ी जागृति का उदाहरण है। काशी विद्यापीठ के प्रोफेसर डा संजय कुमार ने कहा कि माताओं की तरह पिताओं को भी प्रशिक्षित करने की।जरूरत है। पिता के अंदर जो बुराइयां हैं उसी से परिवार बर्बाद हो रहे हैं। वे स्वयं बहनों की महामारी के समय जो दिक्कतें आती है।उसके लिएं युवकों।को।प्रशिक्षित करते हैं। विश्व मानव सेवा आश्रम नरकटिया गंज के प्रमुख श्री शत्रुघन झा ने कहा कि मां ही बच्चों में संस्कार देती है। विनोबा जी की मां ने ही उन्हें महापुरुष बनाया।
Ashwandewangan
प्रकाश सिंह पिछले 3 सालों से पत्रकारिता में हैं। साल 2019 में उन्होंने मीडिया जगत में कदम रखा। फिलहाल, प्रकाश जनता से रिश्ता वेब साइट में बतौर content writer काम कर रहे हैं। उन्होंने श्री राम स्वरूप मेमोरियल यूनिवर्सिटी लखनऊ से हिंदी पत्रकारिता में मास्टर्स किया है। प्रकाश खेल के अलावा राजनीति और मनोरंजन की खबर लिखते हैं।