उत्तर प्रदेश

परमात्मा के शरण में जाने पर ही मिलती है मुक्ति: Triyugi Narayan

Gulabi Jagat
10 Nov 2024 10:45 AM GMT
परमात्मा के शरण में जाने पर ही मिलती है मुक्ति: Triyugi Narayan
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Kushinagar राजापाकड़ /कुशीनगर: शुकदेव प्रसाद त्रिपाठी स्नातकोत्तर महाविद्यालय भठहीं खुर्द कुशीनगर के परिसर में आयोजित श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ के पांचवें दिन प्रवचन करते हुए कथा व्यास त्रियुगीनारायण मणि त्रिपाठी ने कहा कि बड़े भाग्य से मनुष्य का शरीर प्राप्त होता है। मनुष्य का शरीर प्राप्त होने के बाद परमात्मा के शरण में जाने से ही मनुष्य को मुक्ति मिलती है। मणि जी ने आज के कथा में केवट के प्रसंग का वर्णन करते हुए कहा कि केवट पहले जन्म में गुरुद्रुह नामक बहेलिया था।उसे भगवान शिव की कृपा से दिव्य ज्ञान प्राप्त हुआ । उसने शिव जी से वरदान प्राप्त किया कि मैं राम का चरण पखारुं ।चाहत राम दरस हम पावा।कहि शिव सत्य होहि मन भावा।। दूसरे जन्म में वह कछुआ हुआ। तीसरे जन्म में वह महात्मा हुआ ।
चौथे जन्म में वह चन्द्रचूर्ण राजा हुआ। पांचवें जन्म में सुजस राजा हुआ । छठवें जन्म में महात्मा हुआ।सातवें जन्म में केवट बन कर गंगा के किनारे श्रृंगवेरपुर में नाव चलाता था।जब भगवान राम को वनवास हुआ तो गंगा नदी को पार करने के लिए राम उसी घाट पर पहुंचे और उन्होंने केवट से नाव मांगी। केवट ने कहा कि मैं ऐसे आपको पार नहीं उतारुंगा , पहले मैं आपके चरणों को पखारुंगा तब मैं अपनी नाव में बैठाऊंगा। क्यों कि इसी चरण रज के प्रभाव से गौतम ऋषि की पत्नी अहिल्या पत्थर से नारी बन गई।वो तो पत्थर की थी मेरी नाव तो काठ की है। यदि मेरी यह नाव नारी बन जायेगी तो मेरा क्या होगा। इस लिए मैं पहले आपके चरणों को पखारुंगा तब उस पार ले जाउंगा।
इस अवसर पर ब्रह्मऋषि पंडित भोला प्रसाद त्रिपाठी, पंडित सुभाष प्रसाद त्रिपाठी, डॉ निर्मला त्रिपाठी, विश्वामित्र त्रिपाठी, रमेश त्रिपाठी, अवधेश त्रिपाठी, ब्रजेश त्रिपाठी, अमरेश त्रिपाठी, गिरिजेश त्रिपाठी, उद्भव त्रिपाठी, शीला त्रिपाठी, श्वेता त्रिपाठी, डॉ शैलेन्द्र कुमार मिश्र, डॉ नीरज पाण्डेय, राजकिशोर पाण्डेय, उमेश तिवारी, प्रदीप दूबे, आलोक चौबे, गौरीशंकर लाल , रामेश्वर प्रसाद आनन्द मिश्र, अमित त्रिपाठी सहित समस्त महाविद्यालय परिवार उपस्थित रहा।
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