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लखनऊ: भारतीय प्रशासनिक सेवा के प्रमुख सचिव रैंक के सेवारत या अवकाश प्राप्त अफसर भी प्रस्तावित उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग के अध्यक्ष पद पर नियुक्त किए जा सकेंगे. इसके अलावा किसी विश्वविद्यालय के कुलपति या पूर्व कुलपति तथा न्यूनतम तीन वर्ष के प्रशासनिक अनुभव के साथ किसी विश्वविद्यालय में 10 वर्ष तक प्रोफेसर पद पर कार्यरत या सेवानिवृत्त शिक्षक को भी अध्यक्ष बनाया जा सकता है.
यह प्रावधान विधानसभा में पेश किए गए उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग विधेयक-2023 में किए गए हैं. आयोग में एक अध्यक्ष के अलावा 12 सदस्य नियुक्त किए जाने हैं. विधेयक में इसे एक निगमित निकाय के तौर पर स्थापित किए जाने का जिक्र है, जिसका मुख्यालय प्रयागराज में होगा. उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग और उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड का स्टाफ नए आयोग में स्थानान्तरित कर दिया जाएगा.
विधेयक में प्रावधान किया गया है कि सदस्य के एक पद पर सचिव रैंक के सेवारत या सेवानिवृत्त आईएएस अफसर नियुक्त होंगे, जबकि एक सदस्य न्यायिक सेवा के (जिला न्यायाधीश स्तर) के सेवानिवृत्त अफसर होंगे. इसके अलावा एक पद पर उच्च शिक्षा में संयुक्त निदेशक, एक पद पर व्यावसायिक शिक्षा में अपर निदेशक, एक पद पर माध्यमिक शिक्षा में संयुक्त निदेशक और एक पद पर बेसिक शिक्षा में संयुक्त निदेशक या उससे ऊपर के रैंक के अफसर को नियुक्त किया जाएगा.
आयोग में छह सदस्य ऐसे शिक्षाविद् होंगे, जिनकी सेवाएं उत्कृष्ट कोटि की रही हों और जिन्होंने राज्य सरकार की राय में शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया हो.