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Kanpur: कानपुर IIT में एक और पीएचडी छात्र ने खुदकुशी की
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कानपुर: आईआईटी में पीएचडी के एक छात्र ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। मृतक छात्र की पहचान अंकित यादव के रूप में हुई है, जो नोएडा के सेक्टर- 71 स्थित जागृति अपार्टमेंट का रहने वाला था। छात्र 2024 में यूजीसी नेट की परीक्षा पास कर आईआईटी कानपुर में केमिस्ट्री विभाग में पीएचडी स्कॉलर कर रहा था। बताया जा रहा है कि छात्र डिप्रेशन में था। मृतक छात्र अंकित ने आईआईटी के ब्वॉयज हॉस्टल एच- 103 में अपने कमरे में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। हॉस्टल में साथ रहने वाले छात्रों ने आईआईटी प्रशासन को अंकित द्वारा फांसी लगाने की जानकारी दी। इसके बाद आईआईटी प्रशासन ने तत्काल इसकी जानकारी पुलिस को दी।
पुलिस ने शव को फंदे से उतारा
सूचना मिलने पर चौकी प्रभारी अमित सहाय मौके पर पहुंचे। उन्होंने हॉस्टल के रूम का दरवाजा तोड़कर मृतक के शव को फंदे से उतारा। शव का पंचनामा कर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है। पुलिस और फॉरेंसिक एक्सपर्ट की टीम ने मृतक के कमरे की बारीकी से छानबीन की। वहीं, चौकी प्रभारी अमित सहाय ने बताया कि हॉस्टल के अन्य छात्रों से बातचीत में तनाव की बात सामने आई है।
छह महीने पहले अंकित ने पीएचडी में लिया था दाखिला
जुलाई-2024 में ही अंकित ने पीएचडी में दाखिला लिया था। वह प्रो. पारितोष सारथी सुब्रमण्यम के अंडर पीएचडी कर रहे थे। नोएडा के सेक्टर 71 निवासी अंकित शुरू से ही मेधावी रहे हैं। डीन स्टूडेंट अफेयर प्रो. प्रतीक सेन ने बताया कि अंकित को यूजीसी की पांच साल की फेलोशिप मिली थी। शुरुआती दो साल के लिए 37 हजार रुपये मासिक और शेष तीन सालों के लिए 41 हजार रुपये मिलते हैं।
पढ़ाई से तनाव का कोई सवाल ही नहीं
प्रो. सेन ने कहा कि पीएचडी का जो भी तनाव होता है वह तीन साल के बाद शुरु होता है। शुरुआत में तो पीएचडी कोर्स वर्क किया जाता है, लेकिन नवंबर में कोर्स वर्क खत्म हो गया। फिर एक महीने करीब लैब में रिसर्च किया। जनवरी में पीएचडी का पहला सेमेस्टर शुरू हुआ था। उन्होंने कहा कि अभी तो पढ़ाई शुरू नहीं हुई थी, तो पढ़ाई से तनाव का कोई सवाल ही नहीं।
साथी छात्रों ने क्या बताया?
छात्रों ने बताया कि मृतक दो-तीन दिनों से तनाव में चल रहा था। मृतक अंकित के पास से सुसाइड नोट बरामद हुआ है, जिसमें उसने आत्महत्या के लिए किसी को भी जिम्मेदार नहीं बताया है। वहीं, पुलिस और आईआईटी प्रशासन ने मृतक के परिजनों को घटना की जानकारी दे दी है। पुलिस और फॉरेंसिक टीम पूरे मामले की गहनता से जांच कर रही है।
आपको बता दें कि आईआईटी कानपुर में इससे पहले भी कई छात्र खुदकुशी कर चुके हैं;-
झारखंड के दुमका की रहने वाली प्रियंका जायसवाल ने 29 दिसंबर को सुसाइड किया था. वह केमिकल इंजीनियरिंग से पीएचडी कर रही थी.
आईआईटी कानपुर में उड़ीसा निवासी फैकल्टी सदस्य पल्लवी चिल्का ने भी आत्महत्या कर ली थी.
बीते जनवरी माह 2024 में पीएचडी छात्र विकास मीणा ने भी फांसी लगाकर जान दे दी थी.
2022 में वाराणसी निवासी पीएचडी छात्र प्रशांत सिंह ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी.
2021 में संस्थान में असिस्टेंट रजिस्ट्रार सुरजीत दास ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी.
2020 में आईआईटी के कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर प्रमोद सुब्रमण्यन ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी.
2019 में सिक्योरिटी गार्ड आलोक श्रीवास्तव ने फांसी लगाकर जान दे दी थी.
2018 में फिरोजाबाद निवासी पीएचडी छात्र भीम सिंह ने फांसी लगाकर जान दे दी थी.
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