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अस्पताल खोलने वाले निवेशकों को हर तरह से मदद देगी सरकार
लखनऊ न्यूज़: निजी निवेश के जरिए यूपी की सेहत सुधारने की तैयारी है. सरकारी अस्पतालों में भारी भीड़ है. आबादी के अनुपात में सरकारी स्वास्थ्य संसाधन कम हैं. ऐसे में प्रदेश में निजी क्षेत्र की मदद से अस्पतालों का जाल बिछाने का प्रयास किया जाएगा. इसके लिए स्वास्थ्य विभाग ने अस्पतालों के विकास में निजी निवेश के लिए सरकारी सहयोग की नीति का मसौदा तैयार किया है. उस पर रायशुमारी की जा रही है.
इसमें यूपी को दो श्रेणियों में बांटा जाएगा. जिसमें नगर निगम वाले जिले एक श्रेणी में और बाकी को अलग श्रेणी में रखा जाएगा. निवेशकों को चार विकल्प मिलेंगे. इनमें सरकारी और निजी भूमि पर अस्पताल निर्माण के मॉडल शामिल किए गए हैं.
सीएम योगी आदित्यनाथ ने यूपी की अर्थव्यवस्था को वन ट्रिलियन बनाने का लक्ष्य रखा है. हर क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा निवेश के जरिए सूबे की आर्थिक सेहत सुधारने की तैयारी है. ठीक इसी तर्ज पर सूबे की स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने में भी निजी क्षेत्र की मदद से अस्पतालों की संख्या बढ़ाने की कवायद शुरू की जा रही है. यूपी में अस्पताल खोलने वाले निवेशकों को राज्य सरकार हर मोर्चे पर मदद करेगी.
मॉडल-1 में इस तरह छूट देगी राज्य सरकार
पहला मॉडल केंद्र सरकार द्वारा वायबिलिटी गैप फंडिंग पर आधारित है. इसके तहत मोड-ए, बी, सी को शामिल किया गया है. इन तीनों के तहत राज्य सरकार निजी निवेशक के साथ 50 साल का अनुबंध करेगी. इसके तहत कम से कम 50 बेड के अस्पतालों का निर्माण होगा. सरकार द्वारा अस्पतालों की कुल पूंजीगत लागत का 40 फीसदी और अस्पताल परिचालन लागत का 25 प्रतिशत तक पांच साल तक दिया जाएगा. इसके अलावा निर्माण पर ब्याज सब्सिडी, स्टांप ड्यूटी में छूट सहित अन्य सुविधाएं भी दी जाएंगी. मोड-ए व बी में सरकार एक रुपये की लीज पर जमीन देगी. जबकि मोड सी में भूमि भी निवेशक की होगी.
17 जिलों व नोएडा के लिए होगा मॉडल-2
नीति के तहत दूसरा मॉडल प्रदेश के 17 जिलों के लिए ही होगा. यह वो जिले हैं जहां नगर निगम हैं. इनमें आगरा, अलीगढ़, प्रयागराज, अयोध्या-फैजाबाद, बरेली, फिरोजाबाद, गाजियाबाद, गोरखपुर, झांसी, कानपुर नगर, लखनऊ, मथुरा-वृंदावन, मेरठ, मुरादाबाद, सहारनपुर, शाहजहांपुर, वाराणसी शामिल हैं. इनके साथ नोएडा व ग्रेटर नोएडा को शामिल किया गया है. इन स्थानों पर निजी निवेश से कम से कम 200 बेड के अस्पताल बनेंगे. निवेशक को अपनी जमीन पर अस्पताल बनाना होगा. राज्य सरकार उसे 10 साल तक वार्षिक परिचालन अनुदान देगी. यह अधिकतम 25 करोड़ रुपये प्रति वर्ष तक होगा