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उत्तर प्रदेश
नकली वैक्सीन मामला: गिरोह के काले कारनामे परत दर परत खुल रहे, लोगों की जान पर खेलकर बन गए मालामाल
Renuka Sahu
4 Feb 2022 4:32 AM GMT
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फाइल फोटो
वाराणसी के लंका थाना क्षेत्र स्थित रोहित नगर स्थित मकान में नकली वैक्सीन, कोरोना किट बनाने के बाद उसे निजी लैब और अस्पताल में खपाया गया।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। वाराणसी के लंका थाना क्षेत्र स्थित रोहित नगर स्थित मकान में नकली वैक्सीन, कोरोना किट बनाने के बाद उसे निजी लैब और अस्पताल में खपाया गया। नकली वैक्सीन की एक वायल को तैयार करने में 25 रुपये खर्च आता था, जबकि काला कारोबार करने वाले इसे 300 रुपये में बेचते थे। महज 40 रुपये के खर्च पर नकली कोरोना जांच किट तैयार कर उसे भी 500 रुपये में खपाया करते थे। इस तरह नकली माल को निजी अस्पताल, लैब में खपाकर वह मालामाल बन गए।
एसटीएफ ने इस नकली वैक्सीन, कोरोना किट के जिस कारोबार का भंडाफोड़ किया है, वह इसलिए फल, फूल रहा था कि इसका वायल भी बिल्कुल वैसा ही लग रहा था जैसे कि सरकारी अस्पतालों में कोविशील्ड, कोवैक्सीन की दिख रही है। इसके साथ ही प्रेग्नेंसी किट को भी कोरोना जांच किट की तरह ही पैक किया गया था। इस वजह से ही टीका लगवाने वालों को भी इसकी कोई भनक नहीं लग पा रही थी।
अब एसटीएफ इससे जुड़े लोगों से पूछताछ कर रही है, तो माना जा रहा है कि जल्द ही और कई चौंकाने वाले मामले सामने आ सकते हैं। माना यह जा रहा है कि पूछताछ में आरोपियों ने इस नकली माल को दिल्ली, हरियाणा सहित अन्य जगह पर खपाने की बात जरूर बताई है लेकिन एसटीएफ बनारस में भी इसकी आपूर्ति को लेकर पता लगा रही है।
टीकाकरण केंद्रों पर बढ़ी सतर्कता, लोग खुद भी पूछ रहे सवाल
नकली वैक्सीन, कोरोना किट बनाने के कारोबार के भंडाफोड़ के बाद अब टीकाकरण केंद्रों पर पहले की अपेक्षा अधिक सतर्कता बरती जा रही है। इधर घटना के बाद टीकाकरण केंद्र पर टीका लगवाने वाले भी खुद ही वैक्सीन और किट के बारे में जानकारी हासिल कर रहे हैं।
कोरोना टीकाकरण की अगर बात करें तो जिले में 18 साल से 60 साल और उससे ऊपर के आयु वालों को पहली डोज शत प्रतिशत लगाई जा चुकी है, जबकि दूसरी डोज का टीका लगाया जा रहा है। इसके साथ ही जिले में 85 प्रतिशत के ऊपर किशोरों को भी टीका लगाया जा चुका है।
सीएमओ बोले- बैच नंबर की होती है ऑनलाइन निगरानी
सीएमओ डॉ. संदीप चौधरी का कहना है कि सरकारी अस्पताल में जो वैक्सीन लोगों को लगाई जा रही है, उस पर निर्माता कंपनी की ओर से जो बैच नंबर डाला जाता है, उसका नंबर पोर्टल पर भी दर्ज रहता है, इसलिए इसकी ऑनलाइन निगरानी भी होती रहती है।
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