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आगरा: डॉक्टरों के इंतजार में तीमारदार के साथ महिला ओपीडी में कराह रही थी. कुछ महिलाएं बाहर टिनशेड में पड़ी बेंचों पर बैठी थीं तो कुछ परेशान महिलाएं कभी इधर तो कभी उधर बैठ रहीं थीं. कोई दर्द से पीड़ित थी तो किसी को अपनी रिपोर्ट दिखानी थी. लेकिन, करती क्या डॉक्टर ही नदारद थे.
बेचारी बार-बार पूछ रहीं थी कि डॉक्टर कितनी देर में आएंगे. इतने में एक के बाद एक तीन महिलाओं को लेबर पेन हुए, लेकिन डॉक्टर ही नहीं थीं. तो उन्हें भर्ती प्रक्रिया कौन पूरी करता है. ऐसे में तीन महिलाओं को प्रसव पीड़ा में दूसरे अस्पताल का सहारा लेना पड़ा. यह नजारा महिला चिकित्सालय का दिखा. नौ बजे के बाद तक डॉक्टर नहीं पहुंचे. जिसके चलते महिलाओं को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. अस्पताल के समय की बात करें तो सुबह 8 बजे से ओपीडी शुरू हो जाती है जो दोपहर दो बजे तक चलती है. जिसमें बजे के बाद पर्चे नहीं बनते हैं.
हर बार ऐसा ही होता है
बोदला निवासी कविता की हालत काफी खराब हो गयी. सुबह साढ़े बजे की आयी थी. उसका कहना था कि हर बार ऐसा ही होता है. सुबह के आते हैं शाम को घर पहुंचते हैं. फिर भी इलाज नहीं मिलता है.
घंटों करना पड़ा इंतजार
शिवानी सुबह बजे अस्पताल पहुंच गयी. उससे पहले कई महिलाएं आ गयीं. लेकिन, पहले तो उसका पर्चा ही लेट बना. इसके बाद उसे घंटों इंतजार करना पड़ा. वह गर्भवती थी. अल्ट्रासाउंड कराना था.
कई मरीजों की हालत बिगड़ी
धूप और लंबी लाइन की वजह से जल्दी जाकर पर्चा बनवा लिया. लेकिन परामर्श देने वाली डाक्टर ही समय से अपने कक्ष में नहीं पहुंची. मरीजों को घंटों उनका इंतजार करना पड़ा. मरीज हालत बिगड़ने पर ओपीडी परिसर में ही लेट गईं. डाक्टर के आने पर उनसे परामर्श लेने के बाद जांच कराई और दवाएं मिलीं. अस्पताल में यह एक दिन नहीं होता, रोजाना ही डाक्टर नौ बजे के बाद ही अपने कक्ष में पहुंचते हैं. ऐसा नहीं कि इसकी जानकारी जिम्मेदारों को नहीं है, लेकिन वह कार्रवाई करने की बात कहकर भूल जाते हैं. अल्ट्रासाउंड के लिए भी महिलाओं को बजे के बाद बुलाया गया. ऐसे में गर्भवती महिलाएं यूरिन रोकने के चक्कर में बीमार पड़ गयीं.
स्वास्थ्य सेवाओं के दावे खोखले
महिलाओं को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के दावे तो किए जा रहे हैं. लेकिन, डाक्टरों की मनमानी के चलते जरूरतमंद को समय पर इलाज नहीं मिल पाता है. महिला अस्पताल की ओपीडी में डाक्टरों के समय से न आने के कारण महिलाओं को घंटों इंतजार करना पड़ता है. इस दौरान वह गर्भवती तो काफी परेशान हो जाती, लेकिन उनकी तरफ कोई ध्यान देने वाला नहीं है. महिला अस्पताल की ओपीडी में डाक्टर के बैठने का समय से दो बजे तक होता है. ही कुछ ऐसा नजारा देखने को मिला. जिसमें तीन महिलाओं को प्रसव पीड़ा के दौरान ही जाना पड़ा. महिलाएं अपने स्वजन के साथ सुबह ही अस्पताल पहुंच गयीं.