उत्तर प्रदेश

जिले के 23 सरकारी स्कूल सर्वे के बाद निपुण घोषित

Admin Delhi 1
8 Jun 2023 12:33 PM GMT
जिले के 23 सरकारी स्कूल सर्वे के बाद निपुण घोषित
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गाजियाबाद न्यूज़: बेसिक शिक्षा विभाग के तहत संचालित होने वाले जिले के 23 सरकारी स्कूल निपुण हो गए हैं. डायट मेंटर और डीएलएड प्रशिक्षुओं की टीम ने स्कूलों का सर्वे किया था जिसके आधार पर इन स्कूलों को निपुण घोषित किया गया है. अब प्रदेश स्तरीय टीम आकर इन स्कूलों का निरीक्षण करेगी.

जिले में कुल 446 प्राथमिक, उच्च प्राथमिक और कंपोजिट स्कूल हैं. इनमें से 41 स्कूलों ने खुद को निपुण बताया था. इन स्वघोषित निपुण स्कूलों का डायट मेंटर और डीएलएड प्रशिक्षुओं की टीम ने आंकलन किया. डायट मेंटर और डीएलएड प्रशिक्षुओं की पांच सदस्यीय टीम ने सभी स्कूलों में जाकर निरीक्षण किया. जिला समन्वयक ट्रेनिंग अरविंद शर्मा ने बताया कि टीम द्वारा किए गए सर्वे में 41 में से 23 स्कूल निपुण पाए गए हैं. निपुण स्कूलों में सबसे ज्यादा नगर क्षेत्र के सात स्कूल हैं. इसके बाद पांच स्कूल लोनी के, मुरादनगर के चार, भोजपुर के चार और राजापुर के तीन स्कूल शामिल हैं.

क्या है निपुण भारत मिशन

निपुण भारत मिशन (नेशनल इनीशिएटिव फॉर प्रोफिशिएंसी इन रीडिंग विद अंडरस्टैंडिंग एंड न्यूमेरेसी) का मुख्य उद्देश्य आधारभूत साक्षरता एवं संख्यात्मक ज्ञान को छात्रों के अंतर्गत विकसित करना है. इस योजना के माध्यम से सन 2026-27 तक तीसरी कक्षा के अंत तक छात्र को पढ़ने, लिखने एवं अंकगणित को सीखने की क्षमता प्राप्त होगी. जिससे उन्हें आगे की शिक्षा हासिल करने में आसानी होगी.

डायट मेंटर और डीएलएड प्रशिक्षुओं ने 23 स्कूलों को निपुण घोषित किया है. दिसंबर 2023 तक सभी स्कूलों को निपुण बनाने का लक्ष्य रखा गया है. इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए स्कूलों में प्रभावी शिक्षण पर जोर दिया जा रहा है और शिक्षकों को भी समय-समय पर ट्रेनिंग दी जाती है.

- विनोद कुमार मिश्रा, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी.

दिसंबर 2023 तक सभी स्कूलों को निपुण करने का लक्ष्य

जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी विनोद कुमार मिश्रा ने बताया कि दिसंबर 2023 तक जिले के सभी स्कूलों को निपुण बनाने का लक्ष्य रखा गया है. इसके लिए सभी स्कूलों में पढ़ाई को प्रभावी बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं. बच्चों को नई-नई मनोरंजक गतिविधियों से पढ़ाया जा रहा है ताकि बच्चों पर पढ़ाई का दबाव भी न रहे और निपुण लक्ष्य भी आसानी से हासिल किया जा सके. इसके लिए समय-समय पर शिक्षकों को प्रशिक्षित भी किया जाता है.

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