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लखनऊ न्यूज़: घरों, व्यावसायिक प्रतिष्ठानों या फिर संस्थानों में इस्तेमाल किए जाने वाले पानी को अब ट्रीटमेंट यानी शोधित करते हुए इसे बेचने के साथ ही इसका इस्तेमाल पार्कों की सिंचाई में इस्तेमाल किया जाएगा. इसके लिए शहरों में यूज्ड वाटर मैनेजमेंट प्लांट लगाए जाएंगे. नगर विकास विभाग इस पर एक अनुमान के मुताबिक करीब 1405 करोड़ रुपये खर्च करेगा, जिसमें 846 करोड़ रुपये उसे केंद्र से मिलेगा.
शहरों में सीवरेज या फिर गंदे पानी की सबसे बड़ी समस्या है. गंदे पानी की वजह से नदियां प्रदूषित होती हैं. इसीलिए सीवरेज के साथ ही गंदे पानी के नदियों के उत्प्रवाह पर रोक है. ऐसे पानी को शोधित करने के लिए शहरों में नदियों और नालों के किनारे सीवरेज प्लांट लगाए गए हैं.
इनमें ऐसे पानी को एकत्र करते हुए शोधित किया जाता है. अभी तक ऐसे पानी का इस्तेमाल अन्य किसी कामों में नहीं आ रहा है. इसीलिए उच्च स्तर पर तय हुए है कि एसटीपी के साथ ही यूज्ड वाटर मैनेजमेंट प्लांट भी लगाया जाए. इनमें एसटीपी से शोधित किए गए जल को और साफ किया जाएगा. इसके बाद इसे जरूरत के आधार पर उद्योगों को बेचने के साथ ही पार्कों के रख-रखाव में इस्तेमाल किया जाएगा.
बड़े शहरों में लगेगा यूज्ड वाटर मैनेजमेंट प्लांट:
पहले चरण में इसे 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में लगाने पर मंथन चल रहा है. इसकी सफलता के बाद इसे प्रदेश के अन्य शहरों में लगाया जाएगा. नगर विकास विभाग इसके लिए निकायवर जल्द ही सर्वे कराएगा. जहां उपयोगी होगा, वहां पर इस प्लांट को लगाया जाएगा. इसमें ‘रियूज्ड वाटर’ के इस्तेमाल और कैसे इसे उद्योगों को दिए जाने की प्रक्रिया होगी. शासन स्तर से जारी होने वाले दिशा-निर्देशों को निकायों को अपने यहां उपविधि बनाते हुए लागू करना होगा.