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Bareilly: नगर निगम की निर्माणाधीन बिल्डिंग की गुणवत्ता पर शक
![Bareilly: नगर निगम की निर्माणाधीन बिल्डिंग की गुणवत्ता पर शक Bareilly: नगर निगम की निर्माणाधीन बिल्डिंग की गुणवत्ता पर शक](https://jantaserishta.com/h-upload/2025/02/06/4366307-images-24.webp)
बरेली: नगर निगम की निर्माणाधीन बिल्डिंग की गुणवत्ता पर शक गहरा गया है. इंजीनियर व ठेकेदार के बीच साठगांठ की बू आ रही है. नगरायुक्त निर्माण की गुणवत्ता की जांच बाहरी एजेंसी से कराएंगे. फिलहाल कार्यदायी एजेंसी वीके कंट्रेक्शन का भुगतान रोक दिया गया है. काम में देरी और नगर निगम के नुकसान की भरपाई एजेंसी कराई जा सकती है.
को नगर निगम में भूतल पर स्थित टैक्स विभाग के कार्यालय की छतों व दीवार से पानी टपकने और निर्माणाधीन कार्य की गुणवत्ता मानकों के अनुसार न होने का मामला पकड़ में आया था. गाजियाबाद की एजेंसी वीके कंस्ट्रक्शन की लापरवाही सामने आई है. इस लापरवाही की वजह से नगर निगम के कई उपकरण जैसे कंप्यूटर, प्रिंटर अन्य जरूरी दस्तावेजों खराब हो गए थे. नगर निगम के इंजीनियरों से इस प्रकरण की जांच कराई जिससे नगरायुक्त संतुष्ट नहीं है. नगरायुक्त संजीव कुमार मौर्य ने बताया कि इस मामले में बाहरी एजेंसी से जांच कराएंगे. इसके लिए अनुमति ली जा रही है, किस विभाग से इसकी जांच कराई जाए. अनुमति मिलने के बाद जांच कराई जाएगी. निर्माण विभाग के अधिकारियों को जब तक जांच न हो जाए एजेंसी को किसी भी प्रकार का भुगतान न करने के निर्देश दिए हैं.
टैक्स विभाग को हुआ नुकसान : नगर निगम के भवन में कभी लाइट की दिक्कत तो कभी छत, दीवारों से पानी टपकने की समस्या बनी है. एजेंसी की लापरवाही की वजह से टैक्स विभाग को रिकवरी वसूली, जीआईएस सर्वे डिटेल को अपलोड करने और टैक्स बिलों को सही करने में दिक्कत आई. जिस वजह से नगर निगम में टैक्स भी जमा नहीं हुआ. करदाता परेशान होते रहे, लेकिन एजेंसी के लोग देखने के बाद भी अनदेखी करते रहे.
शिफ्ट करना पड़ा टैक्स विभाग : अधूरी बिल्डिंग में टैक्स विभाग के कार्यालय को प्रथम माले पर शिफ्ट कर दिया है. कार्यालय में न तो लाइट थी और न इंटरनेट का नेटवर्क काम कर रहा था. स्वकर फार्म, आपत्तियों का निस्तारण नहीं हो सका. जीआईएस सर्वे की टीम को भी नेटवर्किंग ना होने की वजह से काफी समस्या का सामना करना पड़ा.
गुणवत्ता पर उठे सवाल, किसकी शह पर हो रहा खेल
सपा पार्षद गौरव सक्सेना ने आरोल लगाया कि नगर निगम की बिल्डिंग निर्माण में बड़ा खेल किया जा रहा है. ठेकेदार को फायदा पहुंचाने के लिए काम में देरी हो रही है, ताकि उसके बजट को बढ़ाकर खेल हो. उन्होंने बताया कि नगर निगम का नया भवन बनाने का प्रस्ताव सपा सरकार में अवस्थापना निधि से पास हुआ था. 2017 के बाद इस भवन पर 12.50 करोड़ रुपये खर्च होने थे. गाजियाबाद की वीके कंट्रेक्शन फर्म को काम दे दिया गया. शुरूआत तेज हुई लेकिन बाद में काम धीमा होता गया. अधूरी बिल्डिंग का आनन फानन में उद्घाटन तक कर पत्थर लगा दिया. नगर निगम ने ठेकेदार को करोड़ों रुपये का भुगतान भी कर दिया है. इसकी जांच होना चाहिए.
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