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बाराबंकी; जनपद बाराबंकी के देवा, खेवली, पीरनगर, इब्राहिमपुर कला और जहांगीराबाद थाना क्षेत्र में इन दिनों मिट्टी का अवैध खनन जोरों पर है। खास बात यह है कि यह सारा गोरखधंधा रात के अंधेरे में ट्रैक्टर-ट्रॉलियों और मिनी जेसीबी लोडरों की मदद से अंजाम दिया जा रहा है।
स्थानीय ग्रामीणों की मानें तो यह पूरी प्रक्रिया बिना किसी वैध अनुमति के की जा रही है और इसमें भारी मात्रा में मिट्टी का दोहन किया जा रहा है। नतीजा— खेतों की सीमा मिट रही है, नहरों की पटरी टूट रही है, और गांव की कच्ची सड़कों पर ट्रैक्टरों की ओवरलोडिंग ने रास्तों को दलदल में बदल दिया है।
प्रशासन मौन, पुलिस पर मिलीभगत के आरोप
इन अवैध गतिविधियों पर कार्रवाई करने की बजाय स्थानीय पुलिस और प्रशासन मूकदर्शक बने हुए हैं। ग्रामीणों ने देवा थाना, जहांगीराबाद और आसपास के क्षेत्रों में खनन माफिया और पुलिस के गठजोड़ का आरोप लगाया है।
एक स्थानीय किसान ने नाम न छापने की शर्त पर बताया,
"रात 11 बजे से सुबह 4 बजे तक ट्रैक्टर ट्रॉलीयों की कतारें लगती हैं। मिट्टी खुदाई के बाद सीधे निर्माण स्थलों या ईंट भट्ठों तक पहुंचाई जाती है। कई बार विरोध किया लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती।"
पर्यावरण और सड़कें – दोनों बर्बादी की कगार पर
अवैध खनन का असर सिर्फ सरकारी राजस्व तक सीमित नहीं है, यह प्राकृतिक संसाधनों की बर्बादी और स्थानीय पर्यावरण विनाश का कारण बन रहा है। ट्रैक्टरों द्वारा ओवरलोडेड ट्रॉली चलाने से गांवों की सड़कों में दरारें, खेतों में गड्ढे और पगडंडियों का विलोपन जैसे दृश्य आम हो चुके हैं।
बारिश के मौसम में ऐसे इलाके की हालत और भी बदतर हो जाती है। मिट्टी बह जाने से जल संरक्षण संरचनाएं क्षतिग्रस्त हो रही हैं, और खेतों की उर्वरता पर भी इसका असर पड़ रहा है।
राजस्व हानि: सरकार को करोड़ों का नुकसान
अवैध खनन की सबसे बड़ी विडंबना यह है कि यह सरकार के राजस्व पर सीधा हमला है। खनन माफिया बिना रॉयल्टी या कर चुकाए मिट्टी बेचते हैं, जिससे सरकार को हर महीने लाखों-करोड़ों रुपये का नुकसान होता है।
