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जिलाधिकारी को भेजे शिकायतपत्र में अस्पताल में नियमों की अनदेखी का आरोप
मेरठ: निजी अस्पतालों के संचालन से पहले तमाम तरह के नियमों का पालन किया जाता है। लेकिन गढ़रोड स्थित मैडविन अस्पताल इन नियमों का पालन किए बिना ही चल रहा है। अस्पताल के संचालन पर सवाल उठाते हुए जिलाधिकारी, मुख्य चिकित्साधिकारी समेत शासन से शिकायत की गई है। शिकायत में कहा गया है पहले भी मानकों का पालन नहीं होने पर इस अस्पताल में सील लग चुकी है लेकिन पैसे के बल पर यह फिर शुरू हो गया है।
परीक्षितगढ़ के रहने वाले शिकायतकर्ता ने शुक्रवार को जिलाधिकारी को दिए शिकायतपत्र में मैडविन अस्पताल के संचान पर सवाल उठाए है। शिकायतकर्ता के आरोप है कि अस्पताल संचालकों ने न तो फायर सेफ्टी के मानकों को पूरा किया है न ही अग्निशमन विभाग से अनापत्तिपत्र हासिल किया है। इसके साथ ही अस्पताल के संचानल से पहले लाइसेंस हासिल करने के लिए जरूरी दस्तावेजों में पार्किंग की सुविधा होने का दावा किया गया है।
आरोप है वर्तमान में अस्पताल संचालकों द्वारा बेसमेंट में पार्किंग स्वीकृत कराई हुई है लेकिन वहां जैनरेटर रूम व मेडिकल स्टोर बना दिया गया। जिस वजह से मरीजों के तीमारदारों को अपने वाहन सड़क पर खड़े करने पड़ रहें है। इस वजह से आसपास के दुकानदारों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
सड़क पर जाम की स्थिति बनी रहती है। इसके साथ ही अस्पताल की बिल्डिंग पर भी सवाल उठाएं गए है। शिकायत में आरोप लगाया गया है चौथी व पांचवीं मंजिल का निर्माण अवैध रूप से किया गया है। पहले भी विभागीय अधिकारियों द्वारा अस्पताल में सील लगाई जा चुकी है साथ ही कार्रवाई का भी आश्वासन दिया गया था।
लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। शिकायतकर्ता ने दोनों मंजिलों को ध्वस्त करने की मांग की है। सवाल यह उठता है ऐसे कितने निजी अस्पताल जिलें में संचालित हो रहे है जिन्होंने मानकों को पूरा नहीं किया है। साथ ही जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग इन अस्पतालों के खिलाफ क्या कार्रवाई कर रहा है। पहले भी गढ़ रोड स्थित भूषण अस्पताल में शहर के नामी डाक्टरों को पैनल में बताकर मरीजों का इलाज किया जा रहा था।
यहां तक की आयुष्मान योजना का लाभ देने के भी दावें इन अस्पतालों में किए जाते है। लेकिन जब इसका खुलासा हुआ तो मुख्य चिकित्साधिकारी ने इस अस्पताल का लाइसेंस निरस्त करते हुए अन्य अस्पतालों पर भी कार्रवाई की थी। लेकिन अब फिर इसी तरह मानकों का पालन नहीं करने वाले अस्पताल जिलें में संचालित होनें लगे है।