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आगरा का अनाथ आकाश विश्व को देगा स्टार्टअप के आइडिया
आगरा न्यूज़: करीब ढाई दशक पहले आगरा में एक अनाथालय के दरवाजे पर भोर के उजाले से पहले मासूम की किलकारियां गूंजने पर हलचल मची. एक रिक्शे वाला उसे गेट पर छोड़कर चला गया था. रोते हुए मासूम को गोद में उठाते ही नाम मिला आकाश. नाम के अनुरूप ही बालक ने तमाम झंझावातों और समस्याओं से संघर्ष करते हुए सूरज से आंख मिलाई और आज वह मुकाम हासिल कर लिया है, जो तमाम सुविधाएं मिलने के बाद भी युवा हासिल नहीं कर पाते. अनाथालय में असुविधाओं से जूझते हुए सफलता की सीढ़ी चढ़ने वाले आकाश का चयन जर्मनी की म्यूनिख यूनिवर्सिटी ने विश्वभर से चयनित 19 लोगों में किया है जो सस्टेनेबल एंटरप्रेन्योरशिप विषय पर स्टार्टअप व बिजनेस आइडिया देंगे.
बताया कि वह वर्तमान में आइआइटी बोम्बे की नीमो लैब में शोध कार्य कर रहे हैं. प्रो. शोभा शुक्ला व सुमित सक्सेना के मार्गदर्शन में मेटामेटिरियल सिमुलेशन पर उनका शोध कार्य चल रहा है. दयालबाग एजुकेशनल इंस्टीट्यूट से बीएससी ऑनर्स फिजिक्स में करने के बाद आइआइटी गांधी नगर से
उन्होंने एमएससी फिजिक्स में किया.
इंटरनेशनल समर स्कूल प्रोग्राम, सस्टेनेबल एंटरप्रोन्योरशिप के तहत आकाश 15 दिन के लिए वहां रहकर सस्टेनेबल स्टार्टअप और बिजनेस के आइडिया विश्व मंच पर रखेंगे. चयनित 19 लोगों में से पांच का चयन स्कॉलरशिप पर हुआ है. यह स्कॉलरशिप हर साल विश्व में मात्र पांच लोगों को ही मिलती है.
अनाथालय बंद होने पर उठाई आवाज
वर्ष 2019 में अनाथालय बंद होने पर आकाश ने अपने भाई-बहनों के लिए आवाज उठाई. 15 दिन तक अनशन भी किया. बड़ी संस्थाओं को पत्र भेजकर मदद की गुहार लगाई. राजनेता, समाजसेवियों से गुहार लगाई. मगर, कुछ न हो सका. आकाश के मुताबिक सभी अनाथ बच्चों के लिए लड़ना है.
कठिन समय का किया सामना
आकाश का सफर कभी आसान नहीं रहा. उनके माता-पिता का कुछ पता नहीं था. इंटर के बाद आय प्रमाणपत्र न होने के चलते इंस्पायर स्कॉलरशिप भी नहीं मिल पाई थी. ट्यूशन पढ़ाकर और लोगों की मदद से आगे की पढ़ाई जारी रखी. एक बार गलत के खिलाफ आवाज उठाने पर अनाथालय पदाधिकारियों ने उसके मारपीट भी की थी.