उत्तर प्रदेश

आंवला की 90 फीसदी मिट्टी हुई क्षारीय, किसानों के लिए सलाह

Admin Delhi 1
7 Dec 2022 2:18 PM GMT
आंवला की 90 फीसदी मिट्टी हुई क्षारीय, किसानों के लिए सलाह
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बरेली न्यूज़: बरेली जिले की आंवला तहसील की जमीन में कार्बनिक पदार्थ, जिंक और सल्फर की कमी होती जा रही है. 92 फीसदी मिट्टी के नमूनों में फॉस्फोरस की अधिकता पाई गई है तथा 90 फीसदी जमीन का पीएच 8 से अधिक पाया गया है. यह स्थिति चिंताजनक है. वैज्ञानिक का कहना है कि किसानों को रसायनिक खाद की जगह जैविक खाद का प्रयोग करना चाहिए.

आईवीआरआई के फार्मर फर्स्ट प्रोग्राम के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. रणवीर सिंह ने आंवला तहसील के 100 खेतों से मिट्टी के नमूने लेकर उसकी जांच कराई. जांच में पाया गया कि यहां की ज्यादातर खेतों की मिट्टी क्षारीय हो गई है. परीक्षण में 90 फीसदी खेतों की मिट्टी में सल्फर और जिंक की मात्रा तय मानक से कम मिली. 80 फीसदी में नमूनो में जैविक कार्बन और 60 फीसदी में आयरन भी समान्य से कम मिला. जांच में यह बात सामने आई कि मिट्टी के 92 फीसदी नमूनों में फॉस्फोरस की मात्रा काफी अधिक मिली. हालांकि वैज्ञानिक का कहना है कि मिट्टी में फास्फोरस की अधिक मात्रा होने का लाभ किसानों को इसलिए नहीं मिल पा रहा क्योंकि जैविक कार्बन सामान्य से भी काफी कम करीब 0.18 प्रतिशत तक है.

किसान को अपनी ऊसर जमीन के लिए वैज्ञानिकों की ओर से विकसित की गई प्रतिरोधक क्षमता वाली फसलों को बोना चाहिए. गेहूं की केएल और 283, मोटे धान की सीएसआर-36, 46, 56, 60 और बासमती 30, सरसों की सीएस-58 और 60 और ढेंचा की सीएसडी 123 प्रजातियों का चयन करना चाहिए.

जिप्सम और ढैंचा का करें प्रयोग: डॉ. रणवीर सिंह कहते हैं कि खेतों को क्षारीय होने से बचाने के लिए हरी खाद, कंपोस्ट, वर्मी कंपोस्ट और जिप्सम का प्रयोग करना चाहिए. हरी खाद के रूप में मूंग, सनई और ढैंचा का प्रयोग किया जा सकता है.

जिंक और सल्फर की कमी से पौधों का विकास नहीं:

वैज्ञानिक का कहना है कि मिट्टी में जिंक और सल्फर की कमी के कारण पौधों की पत्तियां पीली होने लगती हैं. इससे प्रकाश संश्लेषण सही से नहीं हो पाता है. इसके कारण ही पौधों में फूल और फलियां कम बनती हैं, जिससे उपज कम होती है.

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