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कानपूर: शहर में हर दिन 600 टन कचरा निकल रहा है. इनमें 10 टन प्रतिबंधित पॉलिथीन एवं सिंगल यूज प्लास्टिक है. इनमें सबसे अधिक प्लास्टिक गुड फूड प्रोडेक्ट के हैं, जो रिसाइकिल होने वाले नहीं है. इसके बाद भी नगर निगम और पर्यावरण विभाग इस पर चुप्पी साधे हुए है.
प्रतिबंधित पॉलिथीन एवं सिंगल यूज प्लास्टिक इस्तेमाल पर रोक को रैपिड एक्शन फोर्स बनाई गई है. इनमें नगर निगम और पर्यावरण विभाग की टीम शामिल हैं. यह फोर्स अभियान चलाकर जुर्माना वसूलकर कागजी कोरम पूरा कर लेती है लेकिन स्थायी समाधान ढूंढ नहीं पा रही है. जबकि स्वच्छ भारत मिशन की ओर से आईईसी की टीम भी निगम के सभी 80 वार्डो में नागरिकों को जागरूक करने की बात कागजों में कह रही है.
70 फीसदी नालियों-नालों के चोक का कारण है प्लास्टिक प्रतिबंधित पॉलिथीन, सिंगल यूज प्लास्टिक एवं थर्माकोल का बढ़ता इस्तेमाल महानगर के 11 रेग्युलेटर, पम्पिंग स्टेशन, छोटे, मझोले नालियों एवं बड़े नालों में जल बहाव को रोक रहे हैं. इसकी वजह से नालिया और नाले चोक हो रहे हैं. जबकि, हर साल नाला एवं नालियों की सफाई पर एक करोड़ से अधिक की धनराशि नगर निगम खर्च कर रहा है. इसके बाद भी नालियों और नालों से सबसे ज्यादा कचरे के रूप में प्लास्टिक ही निकल रहे हैं. अपर नगर आयुक्त निरंकार सिंह ने बताया कि नालियों में प्रतिबंधित पॉलिथीन न जाए तो सभी नालियों का फ्लो 70 फीसदी तक बढ़ जाएगा.