उदयपुर: उदयपुर सिंडीकेट बैंक घोटाले में शामिल उदयपुर के सीए भरत बम्ब को राजस्थान हाई कोर्ट से झटका लगा है। हाई कोर्ट में जस्टिस इंद्रजीत सिंह की एकलपीठ ने नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल मुम्बई के आदेश पर रोक लगा दी हैं। ट्रिब्यूनल ने ईडी की कार्रवाई पर रोक लगाते हुए अटैच की गई रॉयल राजविलास इमारत को रिलीज़ करने के आदेश दिए थे। इस आदेश पर आज राजस्थान हाई कोर्ट ने रोक लगा दी हैं।
साथ ही सीए भरत बम्ब से संबंधित उदयपुर एन्टरटेन्मेन्ट वर्ल्ड प्रा०लि० कम्पनी और अन्य पक्षों को नोटिस जारी करके जवाब मांगा है। ईडी की ओर से पैरवी करते हुए एडिश्नल सॉलिसिटर जनरल आरडी रस्तोगी ने कहा कि उदयपुर निवासी सी.ए. भरत बम्ब के विरूद्ध सिन्डीकेट बैंक के बड़े अधिकारियों से साठ गांठ कर बैंक को लगभग 1000 करोड रूपये से भी अधिक राशि का गबन करने का आरोप है। इस मामले में भरत बम्ब और उनके अन्य सहयोगी और बैंक के बड़े अधिकारियों के विरूद्ध सीबीआई ने जांच प्रारम्भ की और उसके बाद प्रवर्तन निदेशालय ने इसे मनी लॉन्ड्रिंग का मामला मानते हुए एक अन्य केस भी दर्ज कर लिया।
एएसजी आऱडी रस्तोगी ने बताया कि भरत बम्ब और उनके अन्य सहयोगियों ने इस धनराशि से विभिन्न अचल सम्पत्तियां खरीद ली। जिसमें उदयपुर में भी रॉयल राजविलास के नाम से बहुमंजिला इमारत बनाई। प्रर्वतन निदेशालय के अनुसार यह भवन सिंडीकेट बैंक से गबन की गई राशि का प्रयोग करते हुए बनाया गया। निदेशालय द्वारा भरत बम्ब और उनसे संबंधित कम्पनियों, जिसमें उदयपुर एन्टरटेन्मेन्ट वर्ल्ड प्रा०लि० कम्पनी भी शामिल है। इस आपराधिक धनराशि को प्रयोग में लाकर बनाया गया बहुमंजिला भवन रॉयल राजविलास भी अटैच कर लिया गया और 2019 में ही वह अटैचमेन्ट भी अन्तिम रूप से लागू हो गया।
एएसजी आरडी रस्तोगी ने बताया कि भरत बम्ब की कंपनी उदयपुर एन्टरटेन्मेन्ट वर्ल्ड प्राइवेट लिमिटेड ने ईडी की कार्रवाई को मनी लॉन्ड्रिंग ट्रिब्यूनल, दिल्ली में चुनौती दी। यहां से कंपनी को यथास्थिति के आदेश भी मिल गए। वहीं इसके बाद रॉयल राजविलास फ्लैट ऑनर्स नामक संस्था ने ईडी की कार्रवाई के खिलाफ जोधपुर हाई कोर्ट में याचिका दायर कर दी। ईडी ने इसका पुरजोर विरोध किया। जिसके बाद यह याचिका वापस ले ली गई।
इसके बाद समस्त तथ्यों को छिपाते हुए नेशनल कम्पनी लॉ ट्रिब्यूनल, मुम्बई के समक्ष एक याचिका प्रस्तुत की गई। जिसमें प्रार्थना की गई कि उदयपुर एन्टरटेन्मेन्ट वर्ल्ड प्रा०लि० कम्पनी को दिवालिया घोषित कर दिया जाए और जानबूझकर तथ्यों को छिपाते हुए प्रर्वतन निदेशालय को उस याचिका में पक्षकार नही बनाया गया। प्रर्वतन निदेशालय की अनुपस्थिति में ही नेशनल कम्पनी लॉ ट्रिब्यूनल, मुम्बई ने याचिका मंजूर कर ली और प्रर्वतन निदेशालय द्वारा रॉयल राजविलास भवन को अन्तिम रूप से अटैच करने की कार्यवाही को निरस्त कर दिया।