चार साल पहले आवंटित हुई थी अदालत की जगह, अब सेना की आपत्ति से अटका काम
सिटी न्यूज़: संभागीय मुख्यालय होने से यहां अदालत में मुकदमों की संख्या बढ़ने के साथ ही वकीलों व पक्षकारों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है। ऐसे में वर्तमान अदालत परिसर छोटा होने से नए भवन बनाने की योजना है। लेकिन उस नए भवन के निर्माण को सेना की आपत्ती ने अटका दिया है। कोटा में कलक्ट्रेट के सामने अदालत का पुराना भवन बना हुआ है। जिसमें उस समय के हिसाब से अदालतें बनी हुई हैं। लेकिन समय के साथ -साथ मुकदमों की संख्या और वकीलों की संख्या बढ़ने से अदालत परिसर छोटा पड़ने लगा है। ऐसे में अदालत के लिए नए परिसर की मांग उठी तो जिला प्रशासन ने नई अदालत के लिए जगह भी आवंटित कर दी। लेकिन जगह आवंटित होने के चार साल बाद तक भी उस जगह पर निर्माण शुरू नहीं हो सका है। इधर सार्वजनिक निर्माण विभाग के अभियंताओं का कहना है कि अदालत के नए भवन के लिए आवंटित जगह के निर्माण पर सेना की आपत्ती से काम अटका हुआ है। वहां से हरी झंडी मिलने के बाद ही काम शुरू हो सकेगा। फिलहाल काम रूका हुआ है।
जी प्लस पांच मंजिल बनाने पर आपत्ति: जिला प्रशासन द्वारा दरबार पेट्रोल पम्प के पीछे और स्वास्थ्य भवन के पास सिचाई विभाग के कार्यालयों की जगह को अदालत के नए भवन के लिए आवंटित किया था। वर्ष 2018 में जगह आवंटित हो गई थी। साथ ही विभाग के कार्यालयों व खाली कमरों में जो भी सामान था उन्हें भी वहां से खाली कर शिफ्ट कर दिया था। राज्य सरकार ने पिछले बजट में अदालत परिसर के निर्माण के लिए बजट भी स्वीकृत कर दिया था। जिसके आधार पर निर्माण का नक् शा बनाया गया था। अदालत का नया वन जी प्लस पांच मंजिल का बनाया जाना है। लेकिन उस जगह के पास ही सेना के भी कार्यालय हैं। अदालत के नए भवन की इतनी अधिक मंजिल निर्माण होने की जानकारी मिलने पर सेना के अधिकारियों ने इस पर आपत्ती की। जिससे यह निमाण कार्य अटक गया। अटका भी ऐसा कि अभी तक उसका कोई समाधान नहीं हो सका है।
75 हजार से अधिक मुकदमे, 25 सौ वकील: कोटा जजशिप में करीब 60 से अधिक अदालतें हैं। जिनमें फौजदारी व दीवानी करीब 75 हजार मुकदमें लम्बित हैं। वहीं वकीलों की संख्या भी बढ़कर वर्तमान में 25 सौ के पार हो गई है। हालत यह है कि अदालतों की संख्या बढ़ने के कारण व अदालत परिसर में जगह कम होने से कई अदालतें कलक्ट्रेट व उसके आस-पास किराए के भवनों में संचालित हो रही हैं। जिनका सरकार को लाखों रुपए महीना किराया चुकाना पड़ रहा है। जबकि नया भवन तैयार होने से इस समस्या का समाधान हो जाएगा।
सेना की आपत्ति से पहले भी कई काम अटके: शहर में सेना की आपत्ती से पहले भी कई निर्माण काम अटके हुए हैं। नगर निगम द्वारा स्टेशन रोड स्थित जिंद बाबा के पीछे कोटा उत्तर निगम का गैराज व ट्रांसफर स्टेशन बनाया जाना था। लेकिन सेना की आपत्ती से वहां निर्माण रोकना पड़ गया। वहीं नगर निगम द्वारा ही माला रोड पर साइकिल ट्रेक बनाया जाना था। उस पर भी सेना की आपत्ती से वह काम भी अटक गया।
दो करोड़ से चल रहा निर्माण कार्य: एक तरफ तो नए अदालत परिसर के निर्माण की मांग की जा रही है। वहीं दूसरी तरफ वर्तमान अदालत परिसर में नगर विकास न्यास द्वारा करीब दो करोड़ रुपए से विकास कार्य करवाया जा रहा है। जिसमें अभिभाषक परिषद के सभोगार का नवीनीकरण करने और चैनल गेट के पास से लाल चौक तक निर्माण कार्य कराया जा रहा है। अदालत का वर्तमान परिसर छोटा पड़ने लगा है। ऐसे में नए परिसर के लिए परिषद ने जगह की मांग उठाई। जिस पर वर्ष 2018 में प्रशासन ने स्वास्थय भवन के पास सिचाई विभाग के खाली कार्यालयों की जगह को अदालत के नए भवन के लिए आवंटित कर दिया था। जिसके लिए पिछले साल सरकार ने बजट भी आवंटित कर दिया था। लेकिन उसके बाद से अभिभाषक परिषद के पदाधिकारियों ने उसकी जानकारी ही नहीं की। जिससे अभी तक भी अदालत के नए भवन का निर्माण शुरू नहीं हो सका है।
- एडवोकेट मनोजपुरी, पूर्व अध्यक्ष अभिभाषक परिषद कोटा
अदालत के नए भवन के लिए परिषद को जगह आवंटित हो गई है। उसके लिए बजट भी आवंटित हो गया है। लेकिन नक् शे के अनुसार वहां जी प्लस पांच मंजिला का निार्मण किया जाना है। जिसकी ऊंचाई अधिक होने पर सेना के अधिकारियों ने आपत्ती कर दी है। इस कारण से फिलहाल यह मामला अटका हुआ है। अब इस मामले में आगे की कार्रवाई की जानकारी की जाएगी।
- एडवोकेट प्रमोद शर्मा, अध्यक्ष अभिभाषक परिषद कोटा