राजस्थान

ऑटोमेटिक सिग्नलिंग से कोटा रेल मंडल की 200 ट्रेनों की स्पीड बढ़ी

Admin Delhi 1
10 March 2023 2:46 PM GMT
ऑटोमेटिक सिग्नलिंग से कोटा रेल मंडल की 200 ट्रेनों की स्पीड बढ़ी
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कोटा: पश्चिम मध्य रेलवे की की ओर से समय-समय पर तकनीकी बदलाव कर यात्रियों को बेहतर सुविधाएं देने का प्रयास किया जा रहा है। यात्रियों को उनके गन्तव्य तक समय पर पहुंचाने के लिए गाड़ियों की रफ्तार बढ़ाने को लेकर अनवरत प्रयास जारी है। रेलवे मिशन रफ्तार पर तेजी से कार्य कर रहा है। रेलवे का अब पूरा फोकस आॅटोमेटिक सिंग्नलिंग सिस्टम पर है। इसको अमल में लाने से कोटा मंडल की 200 ट्रेनों को अब अधिकतम 110 से 130 किमी प्रति घंटा की औसत रफ्तार से चलाया जा रहा है। वहीं भोपाल रेल मंडल से चलने व गुजरने वाली 250 यात्री ट्रेनों की स्पीड बढ़ गई है। ट्रेनों को अब अधिकतम 130 किमी प्रति घंटे की औसत रफ्तार से चलाया रहा है। पहले 110 किमी प्रति घंटे की अधिकतम औसत स्पीड से ट्रेने साल के अंत तक स्पीड 160 किमी प्रति घंटे तक पहुंचाने का लक्ष्य है। इसी प्रकार से कोटा, भोपाल व जबलपुर मंडल के विभिन्न सेक्शनों से चल रही व गुजरने वाली 750 से अधिक ट्रेनों की स्पीड बढ़ चुकी है। इसमें कोटा 200, भोपाल की 250, जबलपुर की 300 गाड़िया शामिल है।

मार्च अंत तक इन सेक्शनों में भी ट्रायल शुरू हो जाएगा

रानी कमलापति स्टेशन से बरखेड़ा- बुदनी सेक्शन में सिग्नल आॅटोमेशन का काम पूरा होने के साथ ही ट्रायल चल रहा है। अब बीना इटारसी सहित कुछ स्टेशनों के कुछ सेक्शन ऐसे बचे है, जहां सिस्टम तो लग गया है। लेकिन ट्रायल नहीं हुआ है। मार्च तक इन सेक्शनों में भी यह काम पूरा हो जाएगा। उसके बाद अप्रैल से वहां भी सिस्टम पूरी तरह से काम करने लगेगा।

डेढ़ साल से चल रहा कार्य

वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक रोहित मालवीय ने बताया कि सिग्नलिंग ट्रैक बदल कर मेंटेनेंस जैसे कार्य करके विभिन्न सेक्शनों में स्पेंड को बढ़ाया जाता है। इन सेक्शन से जो ट्रेने चलती या गुजरती हैं। उनकी स्पीड लगातार बढ़ती चली जाती है। पिछले डेढ़ साल से कोटा मंडल ही नहीं नहीं, सभी सेक्शनों में मौजूद ट्रैक की स्पीड बढ़ाने का काम रेलवे कर रहा है। नतीजा ये है कि इन सेक्शनों से गुजरने वाली ट्रेने भी खासतौर से पैसेंजर एक्सप्रेस मेल व सुपरफास्ट को अब अधिकतम 130 किमी प्रति घंटे की औसत रफ्तार से चलाया जाने लगा है।

ऐसे काम करता है आॅटोमेटिक ब्लॉक सिग्नल सिस्टम

स्टेशन गार्ड के एडवासं स्टार्टर सिग्नल से आगे प्रत्येक एक किमी पर सिग्नल लगाए जाते हैं जिसके फलस्वरूप सिग्नल के सहारे ट्रेनें एक दूसरे पीछे चलती रहेंगी। किसी कारण से आगे वाले सिग्नल में तकनीकी खामी आती है तो पीछे चल रही ट्रेनों की भी सूचना मिल जाएगी।

इनका कहना है

कोटा, भोपाल मंडल वह जोनल क्षेत्र के 2300 किमी क्षेत्र में आॅटोमेटिक सिग्नलिंग सिस्टम इंस्टॉल हो चुका है। इससे ट्रेनों की स्पीड भी बढ़ गई है।

-राहुल श्रीवास्तव, प्रवक्ता पश्चिम-मध्य रेल जोन

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