राजस्थान

मदर मिल्क बैंक का भवन तैयार, उपकरण नहीं

Admin Delhi 1
15 Feb 2023 2:56 PM GMT
मदर मिल्क बैंक का भवन तैयार, उपकरण नहीं
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कोटा: दो साल के लंबे इंतजार के बाद आखिरकार जेकेलोन अस्पताल परिसर में बहुप्रतीक्षित मदर मिल्क बैंक भवन बनकर तैयार हो ही गया। पीडब्ल्यूडी द्वारा अस्पताल प्रशासन को भवन हस्तांतरित भी कर दिया लेकिन अभी बच्चे मदर मिल्क के दूध से दूर है। कारण की भवन में कई उपकरण अभी आना बाकी है। अस्पताल प्रशासन का कहना है कि मदर मिल्क मदर चेयर सहित कई आवश्यक उपकरण राष्टÑीय स्वास्थ्य मिशन के तहत आने है वह मार्च के प्रथम सप्ताह तक आएंगे । तब तक इंतजार करना पड़ेगा। मदर मिल्क बैंक के भवन को हस्तांतरित किए करीब तीन माह से अधिक हो गया है, लेकिन अभी तक इसको शुरू नहीं किया गया। है। इधर बंद पड़ा भवन मरीजों के परिजनों के कपड़े सुखाने के काम आ रहा है। उल्लेखनीय है कि 84 लाख की लागत से तैयार भवन में एसी से लेकर बाकी सभी सुविधाएं लग गई लेकिन मिल्क को संग्रहण से लेकर अन्य आधुनिक उपकरणों को स्थापित करने में अभी समय लगेगा। अस्पताल प्रशासन का कहना है कि उपकरण मिलते ही मदर मिल्क बैक शुरू कर दिया जाएगा। दो साल से बेसब्री इंतजार कर रहे नौनिहालों को अभी डेढ माह और इंतजार करना होगा। उसके बाद मिल्क मिल सकेगा। मदर मिल्क बैंक के शुरू होने से कोटा संभाग के कुपोषित बच्चों व बिन मां के बच्चों को मां का दूध मिलेगा। उल्लेखनीय है कि बूंदी और बारां की मदर मिल्क के सफल संचालन के बाद अब संभाग के सबसे बड़े जेकेलोन अस्पताल में भी अब मदर मिल्क बैंक की शुरुआत का इंतजार है।

अस्थाई मदर मिल्क बैंक मूर्तरूप लेता तो अभी इंतजार नहीं करना पड़ता

जेके लोन मातृ एवं शिशु अस्पताल में मार्च 2021 में अस्पताल के दो कमरों में अस्थाई मदर मिल्क बैंक शुरू करने की कवायद शुरू की थी। अप्रैल 2021 में दो कमरे और किचन बनकर तैयार भी हो गया था। इसकी शुरुआत अप्रैल 2021 में करनी थी, लेकिन कोरोना संक्रमण से अंतरराष्टÑीय विमान सेवाएं बंद होने से मदर मिल्क के लिए आवश्यक मशीनें कोटा नहीं पहुंच सकी। जिससे मदर मिल्क बैंक मूर्तरूप नहीं ले सका । अगर उस समय ये अस्थाई मदर मिल्क मूर्तरूप ले लेता तो आज उसमें लगी मशीन शिफ्ट हो जाती और बच्चों को मां के दूध से वंचित नहीं रहना पड़ा। अस्थाई मदर मिल्क को कारोना संक्रमण के बाद से ही इस प्रोजेक्ट को मशीनों के इंतजार में ठंडे बस्ते में डाल दिया। अप्रैल 2022 माह से पीडब्ल्यूडी विभाग द्वारा एमबीएस अस्पताल की किचन के पास मदर मिल्क बैंक के लिए स्थाई भवन तैयार करना शुरू किया। जो दो साल के बाद बनकर तैयार हो गया है। इधर, अस्पताल प्रशासन का कहना है कि विदेश से कुछ मशीन आ चुकी, कुछ और आनी शेष है। उसके बाद ही मदर मिल्क शुरू होगा।

ऐसे लेते हैं दूध का दान

मदर मिल्क बैंक में दूध दान करने आई मां की पहले एचआईवी, एचबीएसएजी, डब्लूबीआरएल जांच की जाएगी । जांच रिपोर्ट सही आने के बाद महिला से लिखित अनुमति ली जाती है । उसके बाद मदर मिल्क लिया जाएगा। मदर मिल्क बैंक वो बैंक है जो महिलाओं से न सिर्फ दूध इकट्ठा करती है, बल्कि जरुरतमंद बच्चों तक वो दूध पहुंचाने का काम भी करती है।

बढ़ रहा मदर मिल्क बैंक का ट्रेंड

जेकेलोन के उप अधीक्षक डॉ. गोपीकिशन शर्मा ने बताया कि यह एक नॉन-प्रॉफिट बैंक है । यहां नवजात शिशुओं के लिए मां का सुरक्षित दूध स्टोर किया जाएगा। इसकी मदद से उन नवजात शिशुओं को मां का दूध उपलब्ध कराया जाएगा जिनकी अपनी मां किसी कारणवश स्तनपान करा पाने में असमर्थ हैं। इस केंद्र में दो तरह की महिलाएं दूध दान कर सकती हैं। पहली स्वैच्छा से और दूसरी वे माताएं जो अपने बच्चों को दूध नहीं पिला सकतीं। जिनके बच्चे दूध नहीं पीते। अगर उनका दूध नहीं निकाला जाए तो मां के रोगी होने की आशंका बढ़ जाती है। उनके लिए दूध दान करना अच्छा विकल्प है।

नवजात बच्चों को कुपोषण से बचाने में मददगार होगा

बालपोषण संस्थाओं के अनुसार जन्म के आधे घंटे के भीतर मां का पहला दूध बच्चे के लिए पीना जरूरी है, लेकिन किसी कारणवश देश में 95 प्रतिशत बच्चों को यह दूध नहीं मिल पाता। यही वजह है कि भारत में हर दूसरा बच्चा कुपोषित है। इसी बात को ध्यान में रखते 10 साल पहले राजस्थान के उदयपुर में दिव्य मदर मिल्क बैंक की स्थापना की गई । इसके पीछे सिर्फ एक वजह थी कि नवजात (0-1 साल) बच्चों को कुपोषित होने और दूध के अभाव में मौत के मुंह में समाने से रोकना। उदयपुर के मदर मिल्क की सफलता के बाद प्रदेश में जयपुर, बूंदी, बारां में मदर मिल्क बैंक खोले गए। अब कोटा में इसको खोलने की कवायद शुरू की जा रही है।

इनका कहना है

जेकेलोन अस्पताल में मदर मिल्क बैंक का स्थाई भवन एमबीएस अस्पताल के किचन के पास बनकर तैयार हो चुका है। इस भवन और उपकरण में करीब 84 लाख रुपए लागत लगी है। कुछ उपकरण आने बाकी वो मार्च तक आते ही मदर मिल्क बैक शुरू हो जाएगा।

-डॉ. आशुतोष शर्मा, अधीक्षक जेकेलोन अस्पताल कोटा

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