राजस्थान

गली-गली में लैब, मरीजों की सेहत पर संकट

Admin Delhi 1
19 May 2023 3:02 PM GMT
गली-गली में लैब, मरीजों की सेहत पर संकट
x

कोटा: कोटा में करीब 200 से ज्यादा निजी पैथोलॉजी लैब गली-गली में संचालित हो रही हैं। दूसरी तरफ शहर में मुश्किल से 50 के लगभग लैब में ही पैथोलॉजिस्ट डॉक्टर है। शेष लैब टेक्नीशियन के भरोसे संचालित हो रही है। बिना पैथोलॉजिस्ट की जांच करने से जांच रिपोर्ट में अंतर आ रहा है। जिससे मरीजों को सही इलाज मिलने में परेशानी हो रही है। गलत जांच रिपोर्ट नहीं मिले इसके लिए 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिए थे कि लैब के पास एमडी पैथोलॉजी की योग्यता धारी डॉक्टर (पैथोलॉजिस्ट) होने पर लैब संचालित की जा सकेगी लेकिन इस आदेश की कोटा में पालना नहीं हो रही है। यहां तक कि सरकारी अस्पतालों में सारा काम टेक्नीशियन के भरोसे ही चल रहा हैं। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में यही कहा है कि बगैर एमडी पैथोलॉजिस्ट के कोई भी लैब संचालित नहीं कर सकता और उनके हस्ताक्षर के बगैर कोई रिपोर्ट भी जारी नहीं की जा सकती। वर्तमान में कोटा में एमबीएस, जेकेलोन व न्यू मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल समेत शहर की सभी सीएचसी-पीएचसी तथा प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टरों के घरों के आसपास भी प्राइवेट लैब चल रही हैं, जहां पैथोलॉजिस्ट नहीं हैं। इन जगहों पर टेक्नीशियन ही धड़ल्ले से रिपोर्ट जारी कर रहे हैं। इसके चलते आए दिन लैब की जांच रिपोर्ट पर सवाल भी उठ रहे हैं। खास तौर पर बीमारियों के सीजन में इन लैब में मरीजों की खासी भीड़ होती सही जांच रिपोर्ट नहीं मिलने से कई बार मरीज गलत इलाज हो जाता है।

शुगर रिपोर्ट में आया अंतर:

कुन्हाड़ी निवासी आशा बैरवा ने बताया कि वह मधुमेह की मरीज है। हर माह शुगर की जांच कराती है। सरकारी और निजी रिपोर्ट में हर बार अंतर आता है। निजी वाली में बिना खाना खाए शुगर लेवल ज्यादा आता है और खाना खाने के दो घंटे जांच कराने के बाद शुगर लेवल नार्मल रेंज में आता है। डॉक्टर ने बताया कि किसी एमडी पैथोलॉजिस्ट से जांच कराने के बाद ही सही मात्रा में दवा की डोज देंगे।

पहले यूरिन संक्रमण बताया, पैथोलॉजिस्ट से जांच में रिपोर्ट नार्मल

मरीज रामचंद शर्मा ने बताया कि उन्हें यूरिन में जलन हो रही थी डॉक्टर को दिखाया तो यूरिन की जांच कराने और कल्चर कराने की सलाह दी। एमबीएस सेंट्रल लैब की जांच में सक्रमण आया तो विश्वास नहीं हुआ और बाहर से एक निजी लैब से यूरिन कल्चर और यूरिन की पूरी जांच कराई तो रिपोर्ट में संक्रमण बताया गया। डॉक्टर को दिखाया तो रिपोर्ट देखकर डॉक्टर ने कहा ये रिपोर्ट पर लैब टेक्नीशियन के हस्ताक्षर है। रिपोर्ट किसी एमडी पैथोलॉजिस्ट वाली लैब से कराए। मैने एमडी पैथोलॉजिस्ट वाली लैब पर यूरिन और की जांच कराई तो रिपोर्ट नार्मल आई। बाजार में इतनी लैब खूली हुई है कौनसी सही रिपोर्ट देगी पता नहीं नहीं चलता है।

लैब संचालन के लिए जरूरी

- रिपोर्ट जारी करने के लिए पैथोलॉजिस्ट का लैब पर रहना जरूरी।

- सिर्फ डिजिटल साइन से पैथोलॉजिस्ट की रिपोर्ट भी मान्य नहीं।

- एमबीबीएस व दूसरे विभागों से पीजी करने वाले डॉक्टर भी नहीं चला सकेंगे लैब।

- लैब टेक्नीशियन जारी नहीं कर सकेंगे जांच रिपोर्ट।

ये होती हैं महत्वपूर्ण जांचें

- आरबीसी, ईएसआर, प्लेटलेट्स काउंट, सीबीसी, ब्लीडिंग टाइम, क्लोटिंग टाइम, हीमोग्लोबिन, ब्लड ग्रुप व टीईसी जैसी महत्वपूर्ण जांचें इसी विभाग के अधीन होती है।

Read More महंगाई राहत शिविरों में लाभान्वितों की संख्या एक करोड़ से अधिक पहुंची

घर-घर में खुल गई लैब

पिछले कुछ वर्षों में निजी पैथ लैब का धंधा तेजी से बढ़ा है। जिले में एमसीआई के नियमों के तहत अधिकांश लैब संचालित नहीं हो रही है। लैब संचालकों ने बताया कि पैथोलॉजिकल चीन में निर्मित होने के कारण जांच की मशीनें व उपकरण भारतीय उत्पाद के मुकाबले सस्ते हैं। लैब संचालको ने बताया कि अधिकतम चार लाख रुपए में मशीनें व उपकरण आ जाते हैं। जिले में सभी सीएचसी व पीएचसी तथा प्राइवेट प्रैक्टिस कर रहे डॉक्टर के मकान या क्लीनिक के आसपास चल रही लैब में भी पैथोलॉजिस्ट नहीं हैं। टेक्नीशियन ही रिपोर्ट जारी कर देते हैं। इन लैब में आरबीसीए ईएसआर, प्लेटलेट्स, सीबीसी, ब्लडिंग टाइम, फ्लोटिंग टाइम, हीमोग्लोबीन, ब्लड ग्रुप आदि की जांच होती है।

इसलिए ज्यादा खुलने लगे प्राइवेट लैब

हाल के वर्षों में प्राइवेट लैब का धंधा तेजी से बढ़ा है। इसकी वजह यह बताई जाती है कि जांच करने के लिए चाइना मेड उपकरण आने लग गए। ये काफी सस्ते होते हैं। बमुश्किल 3-4 लाख रुपए खर्च करके सेल काउंटर व शुगर जैसी जांचों की मशीनें कोई भी खरीद रहा है। लैब के रजिस्ट्रेशन की कोई व्यवस्था नहीं है, ऐसे में सरकारी तंत्र का निजी लैब संचालकों पर कोई डर भी नहीं है।

क्या है कोर्ट का आर्डर

सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिए गए निर्णय के अनुसार बिना एमडी पैथोलॉजिस्ट के लैब संचालित करना गलत है। बिना पैथोलॉजिस्ट के हस्ताक्षर के रिपोर्ट देना गलत है पैथोलॉजिस्ट के हस्ताक्षर ही रिपोर्ट पर मान्य होंगे। साथ ही यह भी कहा कि डॉक्टर यदि पैथोलॉजिस्ट के हस्ताक्षर के बगैर किसी की जांच रिपोर्ट को स्वीकार करते हैं तो वे भी दोषी होंगे।

किसी भी बीमारी की पहचान के लिए जांच जरूरी होती है। सही जांच से इलाज करने में आसानी होती है। जिनी लैब में जांच कराने से पहले आपकों ये सुनिश्चित करना होगा कि आप जहां से जांच करा रहे है वहां एमडी पैथोलॉजिस्ट डॉक्टर है या नहीं है। यदि जांच लैब टेक्शनिशियन द्वारा की जा रही है। तो वो सही नहीं है। शहर में आज कल दसवीं व 12 वीं पास लैब टेक्नीशियन जांच कर रहे है। जिनको जांच का पूरा अनुभव नहीं होता है। मेरे पास हर रोज बड़ी संख्या यूरिन संबंधी संक्रमण मरीज आते उन्हें एमडी पैथोलॉजिस्ट वाले लैब से ही जांच कराने की सलाह दी जाती जिससे सही इलाज हो सकें और बीमारी सही से पता चल सकें।

- डॉ. अशोक शर्मा, यूरोलॉजिस्ट

जब सारा काम लैब टेक्नीशियन से ही हो जाता तो फिर 10 साल पढ़ाई करके कोई एमडी पैथोलॉजिस्ट बनेगा? हम नहीं कहते कि टेक्नीशियन जरूरी नहीं है, लेकिन उनके सुपरविजन के लिए पैथोलॉजिस्ट बहुत जरूरी है। कोटा में पर्याप्त डिग्रीधारी पैथोलॉजिस्ट है, जो खुद की लैब चला रहे हैं और सरकारी सेक्टर में भी पर्याप्त संसाधन है। लोगों को सही जांच के लिए पैथोलॉजिस्ट वाली लैब से जांच करानी चाहिए ।

- डॉ. प्रवीण झा, एमडी पैथोलॉजिस्ट

सरकार की और से लैब टेक्शनिशयन वाली लैब की जांच के ऐसे कोई आदेश अभी तक आए नहीं है। सीएचसी पीएचसी स्तर पर लैब एमडी पैथोलॉजिस्ट डॉक्टर नहीं है। यहां जांच लैब टेक्नीशियन द्वारा ही की जाती है।

- डॉ. जगदीश कुमार सोनी, सीएमएचओ

Next Story