कोविड हजारों परिवारों में जीवन भर का दर्द छोड़ गई, नागौर के 30 बच्चों में ज्यादातर अनाथ
बीकानेर न्यूज: कोविड का प्रकोप कम हुआ है, लेकिन यह बीमारी हजारों परिवारों में जीवन भर का दर्द छोड़ गई है। खासतौर पर यह उन बच्चों के लिए अभिशाप बन गया जिनके सिर से माता-पिता दोनों का साया उठ गया। बीकानेर भी इससे अछूता नहीं है। जिले में जहां तीन बच्चों के माता-पिता दोनों ने उन्हें छोड़ दिया, वहीं संभाग में ऐसे बच्चों की संख्या 15 पहुंच गई है. प्रदेश में कुल 206 बच्चे अनाथ हुए हैं, जिनमें सर्वाधिक 30 बच्चे नागौर जिले के हैं. दूसरे नंबर पर कोटा है, जहां 17 बच्चे अनाथ हो गए। जबकि, तीसरा नंबर जयपुर का है। राज्य में जालौर और जैसलमेर को छोड़कर हर जिले में ऐसे बच्चे हैं जिन्होंने अपने माता-पिता को खो दिया है।
महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने शुक्रवार को एक लिखित जवाब में यह जानकारी दी है। जवाब के मुताबिक, देश में 4345 बच्चों के माता-पिता दोनों की कोविड से मौत हुई है. इनमें सबसे ज्यादा 790 बच्चे महाराष्ट्र के हैं। सांसद सीपी जोशी के सवाल पर ईरानी ने कहा कि सरकार ने उन बच्चों को अनाथ माना है, जिनके माता-पिता दोनों की कोविड से मौत हो चुकी है और कोई कानूनी अभिभावक नहीं बचा है. सरकार ऐसे बच्चों के 23 वर्ष की आयु तक भरण-पोषण और शिक्षा का ध्यान रखेगी और उन्हें आत्मनिर्भर बनाएगी। इसके बाद एकमुश्त 10 लाख रुपए दिए जाएंगे।
लोकसभा में स्मृति ईरानी का लिखित जवाब: देश में 4345 बच्चे अपने माता-पिता दोनों को खो चुके हैं, महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा 790 बच्चे अनाथ हैं।
राजस्थान में कोविड से 206 बच्चे अनाथ, कोटा से 17, जयपुर से 16 बच्चे इस बीमारी से माता-पिता को खो चुके, जैसलमेर-जालोर को छोड़कर हर जिले में बच्चे पीड़ित