बिजली उत्पादन से खेतों में हो रही सिंचाई, बारिश के बाद नहरों में घटाया जलप्रवाह
कोटा: रबी फसलों में सिंचाई के लिए चंबल नदी की दायीं व बायीं नहर में जलप्रवाह जारी है। इस बार चंबल के बांध लबालब होने के कारण किसानों को सिंचाई के लिए मार्च माह तक पानी उपलब्ध कराया जाएगा। पिछले दिनों हुई तेज बारिश के कारण वर्तमान में फसलों में सिंचाई के लिए पानी की मांग कम हो गई है। इस कारण दोनों नहरों में जलप्रवाह घटा दिया गया है। वर्तमान में दायीं नहर में 4500 और बायीं नहर में 600 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है। कोटा, बारां, बूंदी व मध्यप्रदेश के किसानों की मांग आने के बाद दायीं व बायीं नहर में लगातार जलप्रवाह किया जा रहा है। इसके लिए राणाप्रताप सागर और जवाहर सागर बांध से विद्युत उत्पादन कर नहरों के लिए पानी छोड़ा जा रहा है। दायीं नहर से कोटा, बारां जिले के अलावा मध्यप्रदेश के कई गांवों के खेतों में सिंचाई होती है, जबकि बायीं नहर से बूंदी जिले के गांवों को सिंचाई सुविधा मिलती है। दायीं नहर से कोटा जिला व बारां जिला सहित मध्यप्रदेश के सैंकड़ों गांवों के खेत सिंचित होते हैं। इस कारण नहर की जलप्रवाह क्षमता बायीं नहर से ज्यादा है।
दायीं नहर में 4500 और बायीं नहर में 600 क्यूसेक
दायीं नहर की पूरी क्षमता 6300 और बायीं नहर की क्षमता 1500 क्यूसेक है। करीब एक पखवाडेÞे पहले फसलों में सिंचाई का कार्य तेज गति से चल रहा था। इस कारण एक पखवाड़े पहले दायीं नहर में 6225 और बायीं नहर में 1050 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा था। गत दिनों कोटा जिले सहित विभिन्न क्षेत्रों में जोरदार बारिश हुई थी। इससे कई जगहों पर खेतों में जलभराव हो गया था। ऐसे में सिंचाई के लिए पानी की मांग में कमी आ गई है। इस कारण दोनों नहरों में जलप्रवाह घटा दिया गया है। वर्तमान में दायीं नहर में 4500 और बायीं नहर में केवल 600 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है।
बांधों का लेवल बरकरार
गत वर्ष मानसून की सक्रियता के कारण लगातार बारिश का दौर चला था। इस कारण चंबल नदी के चारों बांध लबालब भरे हुए हैं। बांधों का लेवल बरकरार रखने के कारण राणाप्रताप सागर और जवाहर सागर पन बिजलीघर से बिजली उत्पादन कर नहरों में पानी छोड़ा जा रहा है। राणाप्रताप सागर से 4400 क्यूसेक और जवाहरसागर बांध से 3700 क्यूसेक पानी बिजली उत्पादन कर छोड़ा जा रहा है। नहरों में जलप्रवाह करने की वजह से दोनों बांधों से लगातार बिजली उत्पादन किया जा रहा है।
एमपी के लिए 2200 क्यूसेक पानी
इटावा क्षेत्र में स्थित पार्वती हेड के माध्यम से मध्यप्रदेश के किसानों के लिए पानी छोड़ा जाता है। पार्वती हेड से जुडेÞ इटावा, अयाना सहित विभिन्न क्षेत्रों के खेतों में सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराया जाता है। दायीं नहर से मध्यप्रदेश के किसानों को भी पानी उपलब्ध कराया जाता है। मौसम में बदलाव के बाद वहां से भी पानी की डिमांड कम हो गई है। इस कारण पार्वती हेड से मध्यप्रदेश के लिए 2200 क्यूसेक पानी छोडा जा रहा है।
नजर आने लगी रंगत
सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध होने के बाद फसलों में भी रंगत आने लगी है। ऐसे में कुछ दिनों से फसल बेहतर रूप से विकसित होने लगी है। कोटा जिले में सबसे ज्यादा बुवाई गेहूं की होती है। इसके बाद किसानों का रुझान सरसों की फसल को लेकर हैं। वर्तमान में जिले के कुछ क्षेत्रों में सरसों फसल की कटाई शुरू हो चुकी है। गेहूं के लिए नहरी पानी उपलब्ध कराया जा रहा है।
इनका कहना है
रबी फसलों की सिंचाई के लिए दायीं व बायीं नहर में जलप्रवाह किया जा रहा है। चंबल के बांधों का लेवल बरकरार रखा गया है। राणाप्रताप सागर व जवाहर सागर बांध से बिजली उत्पादन कर दोनों नहरों में सिंचाई के लिए पानी छोड़ा जा रहा है। फिलहाल नहरी पानी की मात्रा घटा दी गई है।
- लखनलाल गुप्ता, अधीक्षण अभियंता, सीएडी कोटा