डॉक्टरों ने 'पुराने लिवर रोग में पोषण' पर कार्यशाला में साझा किए अपने अनुभव
जयपुर न्यूज: हेपेटोलॉजी विभाग, जयपुर स्थित महात्मा गांधी आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय और इंडियन नेशनल एसोसिएशन फॉर स्टडी ऑफ द लिवर के तत्वावधान में 'दीर्घकालिक यकृत रोग में पोषण' पर दो दिवसीय सम्मेलन का उद्घाटन किया गया। इसमें पहले दिन विशेषज्ञ चिकित्सकों ने सरकोपेनिक, मोटापा विषय पर विस्तार से चर्चा की।
सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. सुधीर सचदेव ने कहा कि यह अस्पताल अंग प्रत्यारोपण का एक प्रमुख केंद्र बन गया है, जहां हृदय, यकृत, अग्न्याशय, गुर्दा प्रत्यारोपण किया गया है। अब तक 1540 से ज्यादा किडनी, 55 लीवर ट्रांसप्लांट किए जा चुके हैं और आज 56वां लीवर ट्रांसप्लांट किया गया।
सम्मेलन की आयोजन समिति के अध्यक्ष डॉ. विवेक आनंद सारस्वत ने बताया कि सरकोपेनिया के मोटे मरीजों में मांसपेशियों में कमजोरी (मोटापा) आने लगती है। इससे रोगी कम उम्र में ही अधिक उम्र का दिखने लगता है। यदि सरकोपेनिया मोटे रोगियों में होता है, तो यह गंभीर रूप धारण कर लेता है। लिवर सिरोसिस के मरीजों में यह बीमारी जल्दी पकड़ में आती है। इस रोग में रोगी के आहार में सुधार करके तथा औषधियों के द्वारा उपचार किया जाता है।