राजस्थान

Dausa: पाला पड़ने से फसलों में नुकसान की सम्भावना, किसान अपनाये सुरक्षा के उपाय

Tara Tandi
20 Dec 2024 12:15 PM GMT
Dausa: पाला पड़ने से फसलों में नुकसान की सम्भावना, किसान अपनाये सुरक्षा के उपाय
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Dausa दौसा । कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक डा.ॅ प्रदीप कुमार अग्रवाल ने शीतलहर व पाले से फसलों को नुकसान होने की सम्भावना को देखते हुए बचाव के लिए एडवाईजरी जारी की है। जिससे किसान सतर्क रहकर फसलों की काफी हद तक सुरक्षा कर सकते है।
संयुक्त निदेशक कृषि दौसा डा.ॅ प्रदीप कुमार अग्रवाल ने बताया कि पाले के प्रभाव से पौधों की पत्तियां व फूल झुलसकर झड़ जाते है एवं पौधों की फलियों-बालियों में दाने बनते नही हैं या सिकुड़ जाते हैं। रबी की फसलों में फूल व बालियों के समय पाला पड़ने पर सर्वाधिक नुकसान की संभावना रहती है। कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक ने बताया कि फसलों को पाले से बचाने के लिए गंधक के तेजाब का 0.1 प्रतिशत अर्थात एक हजार लीटर पानी में एक लीटर सान्द्र गंधक का तेजाब का घोल तैयार कर फसलों पर छिड़काव करें अथवा घुलनशील गंधक के 0.2 प्रतिशत घोल का छिड़काव भी कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि नकदी सब्जी वाली फसलों में भूमि के तापमान को कम होने से बचाने के लिए फसलों को टाट, पॉलिथिन अथवा भूसे से ढक देना चाहिए। पाले के दिनों में फसलों में सिंचाई करने से भी पाले का असर कम होता है तथा पाले के स्थाई समाधान के लिए खेतों की उत्तर-पश्चिम दिशा में मेढ़ों पर घने ऊंचे वृक्ष लगायें। उन्होंने बताया कि जब आसमान साफ हो, हवा न चल रही है और तापमान काफी कम हो जाये, तब पाला पड़ने की संभावना बढ़ जाती है। दिन के समय दोपहर में पहले ठण्डी हवा चल रही हो व हवा का तापमान अत्यन्त कम होने लग जाये और दोपहर बाद अचानक हवा चलना बंद हो जाये, तब पाला पड़ने की आंशका बढ़ जाती है। पाले के कारण पौधों की कोशिकाओं में उपस्थित जल जमने से कोशिका भित्ति फट जाती है, जिससे पौधों की पत्तियां, कोंपलें, फूल एवं फल क्षतिग्रस्त हो जाते हैं।
उपनिदेशक कृषि नवल किशोर मीना ने बताया कि दीर्घकालिन उपाय के रूप में फसलों को बचाने के लिए खेत की उत्तरी-पश्चिमी मेड़ों पर तथा बीच-बीच में उचित स्थानों पर वायु अवरोधक पेड़ जैसे शहतूत, शीशम, बबूल, खेजड़ी, अरडू एवं जामुन आदि लगा दिए जायें, तो पाले और ठण्डी हवा के झोंको से फसल का बचाव हो सकता है ।
कृषि अधिकारी दौसा अशोक कुमार मीना ने बताया कि इस समय कृषकों को सर्तक रहकर फसलों की सुरक्षा के उपाय अपनाने चाहिये। पाला पडने के लक्षण सर्वप्रथम आक आदि वनस्पतियों पर दिखाई देते है। साधारणतया तापमान चाहे कितना ही नीचे चला जाये, यदि शीत लहर हवा के रूप में चलती रहे तो कोई नुकसान नहीं होता है। परन्तु इसी बीच हवा चलना रूक जाये तथा आसमान साफ हो तो पाला पड़ता है, जो फसलों के लिए नुकसानदायक है।
कृषि अधिकारी दौसा सूरज कंवर ने बताया कि जिस रात पाला पडने की सम्भावना हो उस रात 12 से 2 बजे के आसपास खेत के उत्तरी पश्चिमी दिशा से आने वाली ठंडी हवा की दिशा में खेतों के किनारे पर बोई हुई फसल के आसपास मेड़ों पर रात्रि में कूड़ा कचरा या अन्य व्यर्थ घास फूल जला कर धुआं करना चाहिए, ताकि खेत में धुआं आ जाये एवं वातावरण में गर्मी आ जाये। सुविधा के लिए मेड़ पर 10 से 20 फुट के अन्तर पर कूड़े करकट के ढेर लगाकर धुआं करें। धुआं करने के लिए अन्य पदार्थो के साथ क्रूड आयॅल का भी प्रयोग कर सकते हैं। इस विधि से 4 डिग्री सेल्शियस तापक्रम आसानी से बढ़ाया जा सकता है। पौधशालाओं के पौधों एवं सीमित क्षेत्र वाले उद्यानों, नगदी सब्जी वाली फसलों में भूमि के ताप को कम न होने देने के लिए फसलों को टाट, पॉलीथिन अथवा भूसे से ढक दें। वायुरोधी टाटियां, हवा आने वाली दिशा की तरफ यानि उत्तर पश्चिम की तरफ बांधें। जब पाला पडने की संभावना हो तब खेत में सिंचाई करनी चाहिए। नमीयुक्त जमीन में काफी देरी तक गर्मी रहती है तथा भूमि का तापक्रम एकदम कम नहीं होता है। इस प्रकार पर्याप्त नमी होने पर शीतलहर व पाले से नुकसान की सम्भावना कम रहती है। वैज्ञानिकों के अनुसार सर्दी में फसल में सिंचाई करने से 0.5 डिग्री से 2 डिग्री सेल्सियस तक तापमान बढ़ जाता है।
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