राजस्थान

Bundi: राष्ट्रीय लोक अदालत 22 दिसम्बर को बून्दी न्यायक्षेत्र में किया 11 न्यायपीठों का गठन

Tara Tandi
20 Dec 2024 12:58 PM GMT
Bundi: राष्ट्रीय लोक अदालत 22 दिसम्बर को बून्दी न्यायक्षेत्र में किया 11 न्यायपीठों का गठन
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Bundi बून्दी । माननीय राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देशानुसार 22 दिसम्बर (चतुर्थ रविवार) को राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन ऑफलाईन के साथ-साथ ऑनलाईन माध्यम से भी बून्दी न्यायक्षेत्र के न्यायालयों में किया जायेगा। इस राष्ट्रीय लोक अदालत के लिए बून्दी न्यायक्षेत्र में कुल 11 न्यायपीठों का गठन किया गया है। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव सरिता मीणा ने बताया कि लोक अदालत आज के युग में न्यायक्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। लोक अदालतों के माध्यम से मामलों का निपटारा पक्षकारों के बीच समझौते व राजीनामों के माध्यम से किये जाने का प्रयास किया जाता है। पक्षकारों के मध्य मनमुटाव को आपसी समझौते के माध्यम से दूर करने का प्रयास किया जाता है। इन अदालतों की खास बात यह है कि इसमें किसी भी प्रकार की लंबी प्रक्रिया से गुजरना नहीं होता एवं मामले का निपटारा भी शीघ्र हो जाता है।
उन्होने बताया कि इन अदालतों में न्याय सब के लिए की अवधारणा को साकार करने का प्रयास किया है। ऐसे व्यक्ति जो आर्थिक रूप से पिछड़े हुए है, गरीब है, उनके लिए तो यह अदालतें वरदान साबित हुई हैं। विवाद के समाधान की प्रकिया व तकनीक जिसके माध्यम से विवादों के पक्षकारों को बिना मुकदमें के ही विवाद का समाधान खोजने में मदद मिलती है। इस प्रक्रिया के अंतर्गत पक्षकार बिना किसी मुकदमें के ही विवाद का समाधान प्राप्त कर
सकते है।
उन्होने बताया कि यह प्रक्रिया न्यायालय एवं औपचारिक कानूनी प्रणाली का एक विकल्प है एवं विवाद को शांतिपूर्ण, शीघ्रता व सौहार्दपूर्ण तरीके से सुलझाए जाने का एक माध्यम है। लोक अदालत न्यायालय में लम्बित या दाखिल किए गए ऐसे मामले, जो न्यायालय में दाखिल किए जाने वाले हो, मामलों का सौहार्दपूर्ण निपटारा किया जाता है। यह अदालते सामान्य न्यायालयों से अलग होती है। पक्षकारों के बीच समझौते के माध्यम से विवादों का निपटारा किया जाता है। लोक अदालत के अन्तर्गत राजीनामा योग्य फौजदारी प्रकरण, धारा 138, एन.आई. एक्ट प्रकरण, धन वसूली के प्रकरण, एम.ए.सी.टी प्रकरण, नल व बिजली के प्रकरण, वैवाहिक विवाद, भरण पोषण से सम्बन्धित प्रकरण, भूमि अधिग्रहण से सम्बन्धित प्रकरण, सभी प्रकार के राजस्व मामले, जनउपयोगी सेवाओं से सम्बन्धित विवाद, उपभोक्ता व विक्रेता के मध्य विवाद व अन्य सिविल मामलों आदि विवादों का निपटारा किया जा सकता है।
उन्होने बताया कि लोक अदालत का सबसे बड़ा लाभ यह है कि इसमें कोई कोर्ट फीस नहीं लगती है, दोनों पक्षकार न्यायाधीश के साथ स्वंय अथवा अपने वकील के माध्यम से बात कर सकते है, जो सामान्य अदालतों में संभव नहीं, निर्णय, पंचाट के माध्यम से दिया जाता है, जो पक्षकारों पर लागू होता है। आमजन से अपील की जाती है कि 22 दिसम्बर को आयोजित होने वाली राष्ट्रीय लोक अदालत का अधिक से अधिक फायदा उठाये।
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