अजमेर: अजमेर यह कथा आत्मा पर छाए समस्त विषय विकारों के दुर्गुणों को दूर कर उसे पवित्र और निर्मल बनाती है। उन्होंने कहा कि धन-संपदा और भौतिक सुख हमारी बुद्धि और विवेक को हरने वाले हैं। ये हमें क्षणिक आनंद तो दे सकते हैं, लेकिन हमें गहरे पतन की ओर ले जाने वाले हैं, इनसे बचना ही श्रेयस्कर है। उन्होंने कहा कि हमने भोग में ही सच्चा सुख मान लिया है, भोगों की पूर्ति के लिए ही हम दिन-रात दौड़.-धूप कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भागवत कथा जीवन के परिष्कार की प्रेरणा करती है। कथा के दौरान उन्होंने कीर्तन की स्वरलहरियां बिखेरते हुए सभी को भाव-विभोर कर दिया। कथा के प्रारंभ में आयोजक शिव प्रसाद लड्ढा, हरिप्रसाद, रामकिशन श्रीकिशन, नंदकिशोर, लक्ष्मीकांत संजय कुमार लड्ढा ने व्यासपीठ का पूजन करते हुए कथा वाचक का अभिनंदन किया।
इससे पूर्व यहां माहेश्वरी सेवा सदन से कलशयात्रा निकाली गई। यह विभिन्न मार्गों से होती हुई वराह घाट पहुंची, जहां सरोवर पूजन के बाद श्रीमद् भागवत ग्रंथ के साथ कलश यात्रा रवाना हुई। यह माहेश्वरी सेवा सदन पहुंचकर विसर्जित हुई। सभी कलशों का पूजन किया गया और मंडल की रचना की गई। ढोल बाजे के साथ प्रारंभ हुई कलश यात्रा में महिलाएं सिर पर सजे-धजे कलश लेकर चल रही थीं और श्रद्धालु गोविंद हरे गोपाल हरे सर्वेश्वर दीनदयाल हरे आदि कीर्तन की स्वर लहरियां बिखेरते हुए चल रहे थे।
इस दौरान राजेंद्र कुमार लड्ढा, मनीष, मोहित यश आदि श्रीमद् भागवत सिर पर विराजमान कर चल रहे थे। कलश यात्रा में विजय शंकर मूंदड़ा, सत्यनारायण मालानी, नंदकिशोर पोरवाल, राजेश झंवर, गिरीश लड्ढा, ओमप्रकाश लड्ढा आदि मौजूद रहे। पुष्कर सरोवर के वराह घाट से शुक्रवार को धूमधाम से कलशयात्रा निकाली गई। इसके साथ ही माहेश्वरी सेवा सदन में सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा शुरू हुई। कथा सत्र में कथावाचक अवधेशदास ने कहा कि भागवत कथा त्रिविध ताप को हरने वाली है।