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जनता से रिश्ता वेबडेस्क | देश के अगले आम चुनाव के लिए एक साल से भी कम समय बचा है। इससे पहले राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के वरिष्ठ नेता अजित पवार ने बड़ा बयान दिया है। पवार ने कहा कि अगले लोकसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों को टिकट आवंटित करते समय वैकल्पिक योग्यता को ध्यान में रखा जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि शिरूर सीट पर फैसला वरिष्ठ नेताओं से चर्चा के बाद लिया जाएगा। इस सीट का अभी पार्टी के अमोल कोल्हे प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।
2019 के चुनावों में कोल्हे ने शिवसेना (अविभाजित) के शिवाजीराव अधलराव पाटिल को हराया था। शिवसेना ने भाजपा के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा था। पिछले विधानसभा चुनाव के बाद शिवसेना ने भाजपा से नाता तोड़ा था और राकांपा व कांग्रेस से हाथ मिलाकर महा विकास अघाड़ी (एमवीए) का गठन किया था। पवार राकांपा की समीक्षा बैठक से इतर पत्रकारों से बात कर रहे थे। बैठक में नौ जून को पार्टी के स्थापना दिवस के मौके पर अहमदनगर में होने वाली एक जनसभा की तैयारियों पर भी चर्चा की गई।
राकांपा नेता ने कहा कि लोकसभा चुनाव के लिए टिकट आवंटित करते समय उन उम्मीदवारों को मौका दिया जाएगा जिनके पास वैकल्पिक योग्यता है। महाराष्ट्र के भाजपा प्रमुख चंद्रशेखर बावनकुले ने राकांपा के ओबीसी प्रकोष्ठ के सम्मेलन को कथित तौर पर नौटंकी बताया था, इसको लेकर जब पवार से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि राकांपा के विरोधियों से पार्टी के बारे में अच्छा बोलने की उम्मीद नहीं की जा सकती।
अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आरक्षण के मुद्दे पर सत्तारूढ़ भाजपा पर निशाना साधते हुए पवार ने कहा कि यह महा विकास अघाड़ी थी जिसने अदालत का दरवाजा खटखटाने का फैसला किया था। जब सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश में ओबीसी आरक्षण की अनुमति दी, तो हमारी टीम वहां गई और उनके द्वारा अपनाई गई रणनीति को समझने के लिए चर्चा की। इसके बाद हमने शीर्ष अदालत में अपना पक्ष रखा और हर कोई फैसले के बारे में जानता है।
सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त 2022 में राज्य चुनाव आयोग (एसईसी) और महाराष्ट्र सरकार को निर्देश दिया था कि वह स्थानीय निकायों की चुनाव प्रक्रिया के संबंध में यथास्थिति बनाए रखे। सरकार ने शीर्ष अदालत के उस आदेश को वापस लेने की मांग करते हुए याचिका दायर की थी जिसमें उसने एसईसी को निर्देश दिया था कि वह ओबीसी को आरक्षण प्रदान करने के लिए 367 स्थानीय निकायों में चुनाव प्रक्रिया को फिर से अधिसूचित न करे, जहां यह पहले ही शुरू हो चुकी है।
पवार ने पूछा, उन्होंने (राज्य सरकार) चुनाव क्यों नहीं कराए? वे एक साल से सत्ता में हैं। आप इस मुद्दे पर उंगली क्यों उठा रहे हैं? उन्होंने मंत्रिमंडल विस्तार में देरी को लेकर भी राज्य सरकार पर निशाना साधा। यह उनका (राज्य सरकार) विशेषाधिकार है। वे सोच रहे होंगे कि 20 मंत्रियों का मंत्रिमंडल अच्छा काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि वे मंत्रिपरिषद में महिलाओं को प्रतिनिधित्व न देना ही उचित महसूस कर रहे होंगे।