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दिमाग पर सबसे पहले पड़ता है नशीली दवाओं का दुष्प्रभाव
भोपाल न्यूज़: नियाभर में नशीली चीजों का दुरुपयोग तेजी से बढ़ा है. एक आंकड़े के अनुसार विश्व में 15-64 वर्ष की आयु के लगभग 30 करोड़ लोगों ने 2020 में विश्वभर में नशीली दवाएं ली थीं, जो पिछले दशक की तुलना में 26% अधिक है. इनमें नशे वाली चीजें तो है हीं, कुछ इलाज वाली दवाइयां भी हैं जो बिना डॉक्टरी सलाह से लेते हैं.
नशीली दवा क्यों नहीं लेनी चाहिए
नशीली दवाइयों में निकोटीन व कई ऐसे रसायन होते हैं जो दिमाग को प्रभावित करते हैं. ये नशीली दवा लेने वाले के तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करके उसकी सोच और व्यवहार पर असर डालती हैं. नशीली दवाइयां मानसिक और शारीरिक अवस्था को प्रभावित करके आंखों और सुनने की क्षमता, संवेदनशीलता, स्मृति, ध्यान, निर्धारण और निर्धारित गतिविधियों को प्रभावित कर सकती हैं.
मनोरंजन के लिए शुरू करते, पर जानलेवा है
अधिकतर लोग इसको देखा-देखी यानी पीयर प्रेशर या बुरे दोस्तों की बातों में आकर नशा शुरू करते हैं. इसमें मनोरंजन को भी आधार बना दिया जाता है. कुछ युवा आजकल स्वैग, सोशल मीडिया के वीडियो-रील्स के लिए भी शुरू करते और बाद में लत बन जाती है. कई बार तनाव आदि में लेना शुरू कर देते हैं लेकिन ये जानलेवा होते हैं.
इन लक्षणों से लत को समझें
नशीली दवाइयां लेने वाले युवाओं-किशारों की दिनचर्या पूरी तरह से प्रभावित होती है. उनकी कार्य क्षमता प्रभावित हो जाती है. कार्य स्थल, स्कूल, कॉलेज या घर पर जिम्मेदारियां पूरी नहीं कर पाते हैं. ऐसे व्यक्तियों को रिश्तों में उदासीनता, साथियों के साथ झगड़े, पुराने-अच्छे दोस्तों से दूरी, परिजनों को ज्यादा समय न देना, ज्यादा गुस्सा करना, नशे के लिए पैसों की चोरी, अक्सर झगड़े-दुर्घटनाएं और अवैध गतिविधियों में शामिल होना. साथ ही शारीरिक चिड़चिड़ा, नींद की कमी, नींद के पैटर्न में बदलाव, खाने में अरुचि या भूख की कमी, कोई काम करने से बचना आदि इसके लक्षण हो सकते हैं.
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