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मध्यप्रदेश | दमोह में हिजाब मामले में शुरू हुए विवाद में सीएम शिवराज के निर्देश के बाद कड़ी कार्रवाई होते हुए स्कूल की मान्यता रद्द कर दी गई थी। मामले में राज्य बाल आयोग की टीम के साथ दमोह कलेक्टर की टीम भी जांच कर रही है। जानकारी के अनुसार यह पहला मामला है जहां सीएम से लेकर गृहमंत्री के निर्देश के बाद इस प्रकार की जांच की जा रही है। जिस बात की आशंका से मामले की जांच शुरू की गई थी अब वही तथ्य सामने आ रहे हैं। धर्मांतरण की आशंकाओं की पुष्टि भी हो रही है। स्कूल में कथित तौर पर मजहबी शिक्षा से धर्मांतरण का कनेक्शन और स्कूल प्रबंधन की पोल पट्टी खुल रही है। जांच टीम और राज्य बाल कल्याण आयोग ने धर्मांतरण के सबूत मिलने की बात कही है।
राज्य बाल आयोग ने बड़ा खुलासा करते हुए कहा कि स्कूल में धर्मांतरण के सबूत मिले हैं। यहां प्रिंसिपल सहित तीन महिला शिक्षिकाओं के मामले सामने आए हैं। ये खुलासा बाल कल्याण आयोग की टीम ने अपनी जांच में किया है। उन्होंने बताया कि स्कूल स्टाफ जांच जब शुरू की गई तो पाया गया कि स्कूल की प्रिंसिपल अफसरा बेग हैं लेकिन उनके पिता का सरनेम श्रीवास्तव है। स्कूल की एक शिक्षिका जिसका अब नाम तबस्सुम है वो इससे पहले जैन थी जबकि एक अन्य महिला टीचर जिसका वर्तमान सरनेम खान है इससे पहले उसका उपनाम यादव था। ऐसे में आयोग ने दावा किया है कि ये बात तय है कि महिला प्रिंसिपल और टीचर्स का धर्मांतरण किया गया है। मामले में हर एंगल से जांच की जा रही है। महिला टीचर्स से पूछताछ की जाएगी।दमोह जिले में स्थित गंगा जमुना हायर सेकेंडरी स्कूल की कक्षा 12वीं में 18 छात्र-छात्राओं ने टॉप किया। इस पर स्कूल प्रबंधन ने विद्यार्थियों के एक फ्लेक्स बोर्ड बनवाया और स्कूल के मुख्य दीवार पर टांग दिया। इस फ्लैक्स में 18 स्टूडेंट्स में से 15 छात्राओं के चेहरे पर हिजाब जैसा स्कार्फ पहना दिख रहा था। इन 15 छात्राओं में 4 हिंदू छात्राएं भी शामिल थीं। इसे लेकर ही पूरा विवाद खड़ा हुआ। हिंदू संगठनों ने इसका विरोध किया, तो मामला राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग और मध्य प्रदेश गृह मंत्री तक पहुंच गया। आनन-फानन में जिला प्रशासन ने जिला शिक्षा अधिकारी से इस मामले की प्रारंभिक जांच कराई गई। जिसमें इसे स्कार्फ बताया गया और कहा कि ये ड्रेस कोड का हिस्सा है। जो पहनना अनिवार्य नहीं है।
इस तरह स्कूल प्रबंधन को क्लीन चिट दे दी गई। जिस पर हिंदूवादी संगठन सवाल उठा रहे थे। मामले की गंभीरता देख सीएम ने कड़ी जांच के निर्देश दिए तो दमोह कलेक्टर ने 7 सदस्य टीम बना कर जांच शुरू की। इस दौरान स्कूल प्रबंधन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर माफी मांगी लेकिन इसी दिन देर रात शिक्षा अधिकारी ने स्कूल की मान्यता रद्द कर दी। मामले में चल रही जांच से पहले इस बात की आशंका थी कि महिला टीचर्स और धर्मांतरण का मुद्दा निकल सकता है। अब तक मिले सबूतों और दावों की मानें तो ये शक सही होते नजर आ रहे हैं।
बाल कल्याण समिति दमोह के सदस्य दीपक तिवारी ने बताया है कि आयोग की टीम ने जांच पड़ताल में पाया है कि स्कूल की महिला प्रिंसिपल के साथ अन्य दो और टीचर्स के नामो में अंतर पाया है। उनके पुराने नाम हिन्दू थे जबकि अब मुस्लिम धर्म के मुताबिक नाम हैं, इससे ये साफ है कि उनका धर्म परिवर्तन हुआ है। आयोग अब इस बात की जांच कर रहा है कि क्या स्कूल में नोकरी देने के लिए धर्म परिवर्तन का दबाव बनाया गया और क्या स्कूल में ऐसी बाध्यता है।
इसके अलावा बाल कल्याण समिति सदस्य और आयोग की जांच समिति के सदस्य दीपक तिवारी ने ये भी बताया है कि स्कूल में पढ़ने वाले गैर मुस्लिम बच्चो को कुरान की आयतें पढ़ाई और सिखाई जा रही हैं। इस बारे में कुछ बच्चो ने उन्हें बताया है और आयोग ने इसे गंभीरता से लिया है। फिलहाल हिजाब के साथ साथ अब शिक्षिकाओं के धर्म परिवर्तन और बच्चो को इस्लामिक शिक्षा दिए जाने की जांच भी हो रही है।
जांच में हो रहे खुलासे से मामले में सियासी और सांप्रदायिक पारा हाई हो सकता है। आपको बता दें, गंगा जमना स्कूल को लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी नाराजगी जाहिर कर चुके हैं और मंच से भाषण के दौरान ऐसा करने वालों के खिलाफ सख्त एक्शन का आदेश दे चुके हैं। वहीं कथित हिजाब मामले के बाद शिक्षा विभाग ने अन्य मुद्दों पर स्कूल की मान्यता भी निलंबित की है।