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करोड़ों रुपये का टैक्स देने वाले पालदा के कारोबारी हो रहे परेशान
इंदौर न्यूज़: इंदौर में इन दिनों प्रवासी भरतीय सम्मेलन को लेकर तैयारियां जोरो पर है. पूरे शहर को सजाया जा रहा है. इसके बावजूद भी शहर में कुछ ऐसे भी आद्यौगिक क्षेत्र है, जहां के व्यापारी आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है. यह पालदा का आद्यौगिक क्षेत्र है. यहां एक भी सामुदायिक शौचालय नहीं है.
पक्की सड़कें गायब हैं. कचरा संग्रहण शुल्क लिया जा रहा है, लेकिन कचरा संग्रहण के लिए वाहन नहीं आते हैं. पानी की टंकी और नर्मदा लाइन नहीं है. ड्रेनेज लाइन भी नहीं है जो है वह काम की नहीं है. लिहाजा सड़कों की सफाई की फि₹ भी जिम्मेदारों को नहीं है. वहीं इस क्षेत्र में सात साल में कुल दो सड़कें बनाई गई हैं. पूरे क्षेत्र में पुलिस चौकी नहीं है. इस कारण से अपराध भी बढ़ रहे. जबकि इस क्षेत्र में 500 से अधिक उद्योग चल रहे हैं. जो महीने में करोड़ो का कारोबार कर सरकार को भी टेक्स देते है. बावजूद इसके इस औद्योगिक क्षेत्र के हाल वर्षों से बेहाल है.
करीब 600 एकड़ क्षेत्र में फैले पालदा औद्योगिक क्षेत्र का एक सिरा रिंग से जुड़ा है तो दूसरा बायपास से. दोनों प्रमुख फिर भी साढ़े 400 से अधिक उद्योग अच्छी सड़कों के लिए तरस रहे हैं. कीचड़ और पानी भरे रास्तों से गुजरते उद्योगपतियों की तकलीफें सिर्फ यहीं खत्म नहीं हो जाती हैं. पेयजल, ड्रेनेज लाइन, स्टार्म वाटर लाइन भी क्षेत्र में नहीं है. इसके बाद भी उद्योग निगम को करोड़ो रुपये सालाना शुल्क व टैक्स चुकाते हैं. उद्योगपतियों के सवाल हैं कि निगम टैक्स लेता है तो सड़क और सुविधाओं के लिए फंड की कमी क्यों आती है.