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दोनों हाथ और पैरों से दिव्यांग होने के बाद भी पढ़ती है पीजी, मंजेश बघेल अब कर रही है कॉम्पिटिशन एक्साम की तैयारी
मध्यप्रदेश : मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जहां हर बेटा-बेटी को अपना भांजा और भांजी कहते है. मगर, मंजेश का कहना है कि जब आपकी भांजी लाचार है तो उसकी मदद करने कोई आगे नहीं आया.इंसान में अगर कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो कितनी भी परेशानी क्यों ना आ जाए, वह कड़ी मेहनत के दम पर सफलता हासिल करने के लिए पूरी शिद्दत के साथ कोशिश करता है. ऐसी ही एक कहानी मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले के मंजेश बघेल की है. जहां 6 साल की उम्र में मंजेश को गंभीर बीमारी ने घेरा लिया और उसके दोनों हाथ और एक पैर ने काम करना बंद कर दिया. मंजेश चलने में लाचार हाथों से काम करने लगी और लाचार मंजेश ने हिम्मत नहीं हारी और स्कूल गई स्कूलिंग पूरी की बाद में कॉलेज गई बीए पूरा किया और अब बीएड प्रथम ईयर की पढ़ाई कर रही है.उसके साथ साथ ग्वालियर के डबरा में कोचिंग भी जा रही है. जिससे शासकीय सेवा में जाने का उसका सपना पूरा हो सके. सबसे बड़ी बात यह है कि मंजेश मुंह में पेन दबाकर लिखती है और स्पीड भी ऐसी जैसे एक स्वस्थ बालक अपने हाथों से लिखता है. दरअसल, डबरा में किराया के मकान में रहने वाली होनहार छात्रा मंजेश बघेल अपने हाथ पैरों से लाचार है, लेकिन उसके अंदर कुछ कर गुजरने का जज्बा है.