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इंदौर न्यूज़: मिलेट (मोटा अनाज) हमारी किसानी का महत्वपूर्ण अंग है. भारत मिलेट को लोकप्रिय बनाने के कार्य में दुनिया में सबसे आगे है. यह किसान को अतिरिक्त आय दिलाने का बड़ा साधन और हमारी रसोई की पौष्टिकता है. आधुनिकता की चकाचौंध में किसान मिलेट भूल गए. अब दुनिया को इसकी याद आई है. हमारी जीवनशैली में अब रसोई का स्वाद नहीं रहा, क्योंकि गृहिणी इससे दूर हो गई है.
यह बात बेंगलूरु के मिलेट मैन डॉ. खादरवली ने कही. वे ढक्कनवाला कुआं स्थित ग्रामीण हाथ बाजार में आयोजित तीन दिवसीय जैविक महोत्सव के मौके पर इंदौर में थे. उन्होंने बताया, ज्वार, बाजरा, रागी कुट्टुू, रामदाना, कंगनी, कुटकी, कोदो, चीना और सामा हमारी कृषि व भोजन के मुख्य अंग हैं. इनके मिश्रण से रसोई बनाकर गृहिणियां परिवार के व्यक्ति के पास बीमारियों को फटकने तक नहीं देती हैं. किसानों ने इनकी बुआई भी कम कर दी है. उन्होंने कहा, जी-20 देशों के लिए यह साल मिलेट वर्ष है. अब इनकी लोकप्रियता बढ़ाने का समय है. उन्होंने कहा कि बेंगलूरु में रोजाना 93 लाख ऑर्डर फूड जोन तक पहुंच रहे हैं. गृहिणियों को भी यही पसंद होता है. यह खाना चटपटा और स्वादिष्ट हो सकता है, लेकिन पौष्टिक नहीं होता है. मिलेट बीमारियों से दूर रखता है.
स्वस्थ रहने का मंत्र:
उन्होंने स्वस्थ रहने का मंत्र देते हुए कहा, भूख लगे तब खाना. सुबह व शाम को तय समय पर भोजन करना. भरपूर आनंद के साथ भोजन करना.