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सिटी फाइनेंस रैंकिंग में 180 निकायों ने पेश की चुनौती
भोपाल न्यूज़: केंद्र सरकार की सिटी फाइनेंस रैंकिंग में अव्वल आने के लिए प्रदेश के 180 नगरीय निकायों ने आवेदन किया है. इन्हें तीन साल की ऑडिट बैलेंसशीट, बजट एक्सपेंडीचर और राजस्व बढ़ाने के आधार पर चुना गया. प्रदेश में कोई भी शहर 40 लाख से अधिक आबादी वाला नहीं है तो निकायों का मुकाबला 3 श्रेणियों 10 लाख से ज्यादा, एक से 10 लाख और एक लाख से कम आबादी वाले शहर के बीच होगा. अगस्त में केंद्र सरकार इसके रिजल्ट घोषित करेगी.
4500 शहरों में पहली बार सिटी फाइनेंशियल रैंकिंग की जाएगी. इनमें भोपाल, इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर नगरीय निकाय 10 लाख से ज्यादा आबादी वाली श्रेणी में शामिल हुए. सभी शहरों के बीच हुए मुकाबले के आधार पर टॉप शहरों को चुना जाएगा. स्पर्धा में कई शहर तो शामिल ही नहीं हो पाए, क्योंकि 413 निकायों में
से 188 के पास बैलेंस शीट नहीं थी. 1200 नंबर के लिए प्रतिस्पर्धा में 600 नंबर रिसोर्स मोबलाइजेशन, 300 नंबर एक्सपेंडीचर परफॉर्मेंस, 300 नंबर फिजिकल गवर्नेंस के हैं.
सिटी फाइनेंस रैंकिंग में अव्वल आने के लिए प्रदेश के सभी नगरीय निकाय राजस्व वसूली बढ़ाने और आय के नए स्त्रोत खोजने पर काम कर रहे हैं. पिछले साल के मुकाबले भोपाल नगर निगम ने 12 प्रतिशत ज्यादा वसूली की. वहीं, इंदौर ने 13 प्रतिशत, ग्वालियर ने 20 प्रतिशत, जबलपुर ने 4 प्रतिशत राजस्व बढ़ाया. प्रदेश के सभी नगरीय निकायों ने मिलकर करीब 12 प्रतिशत राजस्व बढ़ाया.
आय बढ़ाने पर फोकस
फोकस आय बढ़ाने के साथ ऑडिटिंग सिस्टम को मजबूत करने पर है. 180 निकायों ने आवेदन किया है. अगस्त में केंद्र रिजल्ट जारी करेगी. स्वच्छता सर्वेक्षण की तरह इसमें भी अव्वलआने की कोशिश है. अगले साल अन्य निकाय भी शामिल होंगे.
भरत यादव, आयुक्त, नगरीय प्रशासन एवं विकास