राँची न्यूज़: राज्य में टीकाकरण की स्थिति काफी बेहतर हुई है. 12 से 23 महीने के बच्चों की पूर्ण टीकाकरण की बात करें तो एनएफएचएस 4 (2015-16) की तुलना में एनएफएचएस 5 (2020-21) में 12 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. जबकि, विटामिन ए की खुराक लेने वाले बच्चों की संख्या में 14 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है.
इसी प्रकार डीपीटी, पोलियो, मिजल्स आदि टीकाकरण में इजाफा हुआ है. हालांकि बीसीजी का टीका लेने वाले बच्चों का प्रतिशित में मामूली कमी आई है. जबकि, राष्ट्रीय औसत से तुलना करें तो 12-23 माह के बच्चों में रोटावायरस टीके का कवरेज दोगुना है. एनएफएचएस-5 के अनुसार 12 से 23 माह के बच्चों में रोटावायरस के तीनों डोज की राष्ट्रीय उपलब्धि का प्रतिशत जहां 36.4 प्रतिशत है, झारखंड में 74.6 प्रतिशत बच्चों को रोटावायरस की तीनों डोज दी जा चुकी है. इसी प्रकार 24-35 माह के बच्चों में मिजल्स का दूसरा डोज (एमसीवी) कवरेज राष्ट्रीय स्तर पर जहां 31.9 प्रतिशत है, झारखंड का 32.3 प्रतिशत. इसी प्रकार हेपेटाइटिस बी के मामले में भी झारखंड नेशनल कवरेज सेआगे है.
18 प्लस की एक चौथाई आबादी सेकेंड डोज से वंचित
बच्चों के टीकाकरण में झारखंड राष्ट्रीय औसत से आगे है, वहीं कोविड टीकाकरण की स्थिति काफी खराब है. राज्य में अभी तक लगभग 17 हेल्थ केंयर वर्कर, फ्रंटलाईन वर्कर एवं बुजुर्गों ने प्रिकॉशन डोज लिया है. इसमें भी बुजुर्गों का कवरेज महज 11 है. जबकि, अभी तक 40 हेल्थ केयर वर्कर एवं 53 फ्रंटल्राइन वर्कर ने प्रिकॉशन डोज नहीं ली है. 18 वर्ष से अधिक उम्र के लगभग 24 लोग अभी तक सेकेंड डोज भी नहीं लिए हैं.
बच्चों के टीकाकरण में शहरी की तुलना में ग्रामीण काफी आगे हैं. केवल 9-35 माह के बच्चों को विटामिन ए की खुराक दिलाने में ग्रामीण (70.6) शहरी (72.5) की तुलना में पीछे हैं. जबकि, पूरी तरह टीकाकरण में शहरी 67.8 तो ग्रामीण बच्चों की उपलब्धि 75.1, बीसीजी का प्रतिशत ग्रामीण बच्चों का 95.4 तो शहरी का 93, डीपीटी लेने वाले शहरी बच्चों का प्रतिशत 79.8 है तो ग्रामीण बच्चों का प्रतिशत 86.7 है. इसी प्रकार रोटावायरस का तीनों डोज, हेपेटाइटिस बी के टीकाकरण में भी ग्रामीण शहरियों की तुलना में काफी आगे हैं. जबकि, निजी केंद्रों पर बच्चों का टीकाकरण कराने में शहरी का प्रतिशत जहां 10.9 है, वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में महज 1.4 बच्चों का टीकाकरण निजी केंद्रों पर हुआ है.