झारखंड में 80 फीसदी तड़ित चालक बेकार, ठनका से लोगों की मौतें बढ़ीं
जमशेदपुर न्यूज़: झारखंड में ठनका से मौतों की संख्या बढ़ने लगी है. इस साल भी अभी तक वज्रपात से राज्य में करीब तीन दर्जन लोगों की जान जा चुकी है. बताया जाता है कि इसका मूल कारण ठनका से बचाव के लिए राज्यभर में लगाए गए तड़ित चालकों में से करीब 80 फीसदी का बेकार हो जाना है.
कहा जा रहा है कि इनमें से कुछ तड़ित चालक गिरकर खराब हो गए तो कुछ की चोरी हो गई. इसके अलावा जागरुकता में कमी भी एक बड़ा कारण है.
जानकारी के अनुसार राज्य में 2008 से 2012 के बीच करीब 22 हजार स्कूल भवनों में तड़ित चालक लगाए गए थे. पर हाल यह है कि इनमें से करीब 80 फीसदी या तो चुरा लिए गए या गिरकर बेकार हो गए. तड़ित चालक लगाने और जागरुकता बढ़ाने का असर यह रहा था कि 2015 में ठनका से मौत की संख्या 145 पर सिमट गई थी. लेकिन अब हाल यह है कि 2020-21 में मौत की संख्या 322 पर पहुंच गई. 2021-22 में यह आंकड़ा 345 पर पहुंच गया. वहीं इस साल अबतक तीन दर्जन मौत हो चुकी है.
बिजली गिरने की वजह वज्रपात सुरक्षित अभियान के संयोजक और क्लाइमेट रेजल्यिेंट ऑब्जर्विंग सस्टिम प्रमोशन के अध्यक्ष कर्नल संजय श्रीवास्तव बताते हैं, कुछ दशकों में तापमान बढ़ने से तूफान और वज्रपात की घटनाएं बढ़ी हैं. शोध बताते हैं कि हर एक डिग्री तापमान बढ़ने पर बिजली गिरने की घटनाओं में 10 फीसदी की वृद्धि हो सकती है. दूसरी बात यह है कि झारखंड के जिन इलाकों में सबसे अधिक ठनका गिरता, वहां लौह और धातु के अयस्क भारी मात्रा में हैं.
बिजली गिरने की वजह
वज्रपात सुरक्षित अभियान के संयोजक और क्लाइमेट रेजल्यिेंट ऑब्जर्विंग सस्टिम प्रमोशन के अध्यक्ष कर्नल संजय श्रीवास्तव बताते हैं, कुछ दशकों में तापमान बढ़ने से तूफान और वज्रपात की घटनाएं बढ़ी हैं. शोध बताते हैं कि हर एक डिग्री तापमान बढ़ने पर बिजली गिरने की घटनाओं में 10 फीसदी की वृद्धि हो सकती है.
दूसरी बात यह है कि झारखंड के जिन इलाकों में सबसे अधिक ठनका गिरता, वहां लौह और धातु के अयस्क भारी मात्रा में हैं.
सर्वाधिक प्रभावित इलाके
झारखंड का दक्षिणी इलाका, ओड़िशा का उत्तरी भाग, बंगाल का दक्षिण-पूर्वी इलाका और छत्तीसगढ़ का पूर्वी उत्तरी भाग, लाइटनिंग बेल्ट कहलाता है.
यहां सर्वाधिक 70 फीसदी ठनका गिरता है.
15 वें वित्त आयोग की सहायता की अनुशंसा
15वें वित्त आयोग ने झारखंड को सालाना 600 करोड़ आपदा से निपटने के लिए देने की अनुशंसा की है. पांच साल तक हर साल यह राशि मिलेगी. इसमें रोकथाम, शमन, क्षतिपूर्ति और क्षमता विकास के लिए 20-20 फीसदी राशि खर्च करनी है.
15 मई के बाद जागरुकता अभियान
क्लाइमेट रेजल्यिेंट ऑब्जर्विंग सस्टिम प्रमोशन, एक्सआईएसएस तथा जिला प्रशासन के संयुक्त सहयोग से बिजली से बचने के लिए डोर टू डोर जनजागरुकता अभियान चलेगा.