झारखंड

केरल और दिल्ली में मंकीपॉक्स की दस्तक के बाद झारखंड में भी स्वास्थ्य विभाग अलर्ट, राज्य में जल्द ही जारी किया जाएगा दिशा-निर्देश

Renuka Sahu
25 July 2022 1:58 AM GMT
Health department alert in Jharkhand after the knock of monkeypox in Kerala and Delhi, guidelines will be issued soon in the state
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फाइल फोटो 

विदेशों में मंकीपॉक्स के बढ़ते मामलों के बीच देश में भी इस बीमारी ने दस्तक दे दी है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। विदेशों में मंकीपॉक्स के बढ़ते मामलों के बीच देश में भी इस बीमारी ने दस्तक दे दी है। केरल के बाद दिल्ली में भी मंकीपॉक्स के मामले मिलने के बाद झारखंड में भी स्वास्थ्य महकमा सतर्क हो गया है। जल्द ही राज्य में बीमारी की रोकथाम व नियंत्रण को लेकर दिशा निर्देश जारी किया जाएगा। स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अरुण कुमार सिंह ने कहा कि मंकीपॉक्स को लेकर स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह अलर्ट है। इस बीमारी पर स्वास्थ्य विभाग बारीकी से नजर बनाए हुए है।

राज्य के सभी सिविल सर्जन एवं डीएसओ आईडीएसपी को मंकीपॉक्स को लेकर निगरानी बढ़ाने की हिदायत दी गई है। सभी जिलों को पूर्व ही एडवायजरी भेजी जा चुकी है। किसी व्यक्ति में यदि यात्रा इतिहास के साथ बुखार, दर्द, शरीर पर दाने व चकत्ता जैसे लक्षण दिखते हैं तो ऐसे संदिग्ध मामलों पर सक्रिय निगरानी की जरूरत है। संदिग्ध मरीजों के नमूने संकलित कर जांच के लिए एनआईवी, पुणे भेजे जाएंगे। मालूम हो कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने मंकीपॉक्स को लेकर ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर दिया है।
चेचक से मिलती जुलती बीमारी
आईडीएसपी के स्टेट एपीडेमोलॉजिस्ट डॉ प्रवीण कर्ण ने बताया कि मंकीपॉक्स चेचक से मिलती-जुलती बीमारी है। यह एक ऑर्थोपॉक्सवायरस संक्रमण है। इसकी अवधि आमतौर पर 7-14 दिन होती है लेकिन यह 5-21 दिनों तक हो सकती है। संक्रमित व्यक्ति लक्षण प्रकट होने के 1-2 दिन पहले से रोग फैला सकता है।
डॉ कर्ण ने बताया कि मंकीपॉक्स व्यक्ति में बुखार, शरीर पर दाने/चकत्ता और लिम्फ नोड में सूजन आदि लक्षण रहते हैं। आमतौर पर 2 से 4 सप्ताह तक चलने वाले लक्षणों के साथ यह एक स्व-सीमित बीमारी है। मामले गंभीर हो सकते हैं। मृत्यु दर 1-10 से भिन्न हो सकती है। मंकीपॉक्स जानवरों से इंसानों में एवं इंसान से इंसानों में भी फैल सकता है। यह वायरस टूटी हुई त्वचा (भले ही दिखाई न दे), श्वसन व आंख, नाक या मुंह के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है।
पशु के काटने या खरोंच से शरीर के तरल पदार्थ या घाव के सीधे संपर्क या घाव सामग्री के साथ अप्रत्यक्ष संपर्क, जैसे दूषित बिस्तर, कपड़े आदि के माध्यम से इसका संक्रमण हो सकता है। सभी संदिग्ध मामलों में मरीज को स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ तब तक अलग रखा जाना चाहिए जब तक कि घाव ठीक न हो जाए और त्वचा की एक नई परत न बन जाए या जब तक इलाज करने वाला चिकित्सक आयसोलेशन समाप्त करने का निर्णय न ले ले।
झारखंड स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अरुण कुमार सिंह ने कहा, 'राज्य में मंकीपॉक्स से निपटने के लिए राज्य का स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह तैयार है। सभी सिविल सर्जन को निगरानी बढ़ाने की हिदायत दी गई है।'
अभी तक नहीं मिला है एक भी संदिग्ध
राज्य में फिलहाल मंकीपॉक्स का एक भी संदिग्ध नहीं मिला है। इसकी वजह से कोई भी सैंपल एनआईवी, पुणे नहीं भेजा गया है। विगत माह में खूंटी व कोडरमा के दो-तीन मरीजों के शरीर पर दाने मिले थे। लेकिन उनकी कोई ट्रैवल हिस्ट्री नहीं थी। बावजूद इसके मामले को गंभीरता से लेते हुए उनकी प्रारंभिक जांच करायी गयी। रिम्स में करायी गयी सैंपल की जांच में चिकन पॉक्स की पुष्टि हुई थी।
राज्य में कहीं भी मंकीपॉक्स के संदिग्ध मरीज के मिलने पर इसकी सूचना जिला निगरानी अधिकारी को देने का निर्देश दिया गया है। संदिग्ध रोगी का इलाज करते समय भी सभी संक्रमण नियंत्रण प्रथाओं का पालन किया जाना है। यदि रिपोर्ट पॉजिटिव आती है, तो पिछले 21 दिनों में रोगी के संपर्कों की पहचान करने के लिए तुरंत संपर्क ट्रेसिंग शुरू की जाएगी।
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