राँची न्यूज़: भारतीय जनतंत्र मोर्चा की कार्यकारिणी की बैठक रांची स्थित कार्यालय में संरक्षक पूर्व मंत्री सह विधायक सरयू राय की अध्यक्षता में हुई. इस दौरान कहा गया कि विशेष तौर पर राज्य की नियोजन नीति का मामला सरकार और प्रतिपक्ष के बीच राजनीतिक लड़ाई का मुद्दा बनते जा रहा है.
सरकार और प्रतिपक्ष मिलकर इसका सर्वसम्मत हल निकालने का प्रयास करें, ताकि राज्य के युवा वर्ग को रोजगार मिलने का मार्ग प्रशस्त हो. राज्य की पहली सरकार की नियोजन नीति को खारिज करते हुए झारखंड हाईकोर्ट के पांच न्यायाधीशों की खंडपीठ ने जो फैसला दिया है, उसमें निर्धारित बिन्दुओं को आधार बनाकर सत्ता पक्ष और विपक्ष को इस विषय का हल निकालने के लिए सार्थक बातचीत शुरू करनी चाहिए. मुख्यमंत्री को इस बारे में एक सर्वदलीय बैठक बुलाने की पहल करनी चाहिए.
बैठक में कहा गया कि राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने 2002 में जो स्थानीय नीति बनायी, उसे खारिज करते हुए झारखंड उच्च न्यायालय ने कतिपय सुझाव दिया है. न्यायालय के इस फैसले को इस बीच बनी किसी भी सरकार ने या किसी भी व्यक्ति ने सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती नहीं दी है. 2013 में झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस गठबंधन की सरकार ने इस आधार पर स्थानीय/नियोजन नीति तैयार करने का प्रयास किया, लेकिन कामयाब नहीं हो सकी. 2016 में भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने इस आधार पर स्थानीयता को परिभाषित करते हुए एक नियोजन नीति बनायी. इस नीति के कतिपय प्रावधानों को भी झारखंड उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया. यह नीति भी क्रियान्वित नहीं हो सकी.
इसके बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पहले तो विधानसभा में घोषित किया कि 1932 खतियान आधारित नियोजन नीति संभव नहीं है, लेकिन कुछ माह बाद ही झामुमो और कांग्रेस गठबंधन की सरकार ने विधानसभा से 1932 के खतियान के आधार पर स्थानीयता/ नियोजन नीति बनाने का विधेयक पारित करा दिया. राज्यपाल द्वारा यह विधेयक लौटाने के बाद इन्होंने किसी सर्वेक्षण को आधार बनाकर 2016 के पहले की नियोजन नीति को लागू करने का एलान किया है, जिसका विरोध विपक्ष कर रहा है और इसके विरोध में चल रही मुहिम का समर्थन कर रहा है. केंद्रीय अध्यक्ष धर्मेंद्र तिवारी ने कहा कि युवाओं में भ्रम की स्थिति को दूर करने के लिए नियोजन नीति स्पष्ट करनी चाहिए.
सरकार के सामने रखे सवाल
1. 2016 के पूर्व की नियोजन नीति क्या है, जिसे वर्तमान सरकार लागू करना चाहती है ?
2. 2016 में लागू की गई नियोजन नीति क्या है और इस नीति को भाजपा-आजसू सरकार ने तैयार किया है तो फिलहाल वे इसे मानते हैं या नहीं?
3. क्या 2016 के पूर्व की नियोजन नीति और 2016 में घोषित नियोजन नीति के विभिन्न बिन्दुओं की समीक्षा कर इसके आलोक में एक नई नियोजन नीति तैयार हो सकती है?
4. क्या कोई भी नीति कायम रह सकती है, जिसका कोई भी अंश संविधान के प्रावधानों के अनुरूप न हो?
5. सरकार में शामिल दलों और शेष दलों को इस परिप्रेक्ष्य में बैठक कर आगे की दिशा तय करनी चाहिए, ताकि एक सर्वसम्मत और टिकाऊ नियोजन नीति बन सके, जिससे राज्य के युवकों को रोजगार का मार्ग प्रशस्त हो.