धनबाद न्यूज़: तोपचांची के चलकरी निवासी आदिम जनजाति के चार युवक मलेरिया की चपेट में आ गए हैं. इनमें तीन बिरहोर गोवा और एक रांची से लौटा है. चारों प्लाज्मोडियम फैंसिफरेम (पीएफ) से पीड़ित हैं, जो सबसे खतरनाक माना जाता है. इसे दिमागी बुखार भी कहते हैं. जांच में इसकी पुष्टि हुई है. एक साथ चार बिरहोर के पीएफ मलेरिया से पीड़ित होने की सूचना ने विभाग की नींद उड़ा दी है.
संक्रमितों में रांची से लौटा जितेन्द्र बिरहोर के अलावा गोवा से लौटे छोटा एतवा बिरहोर, उनतीया बिरहोर समेत एक अन्य शामिल हैं. ये सभी वहां काम करते हैं. डॉक्टरों के अनुसार आठ जुलाई को जितेन्द्र बिरहोर रांची लौटा था. उसे बुखार हुआ. सहिया ने इसकी सूचना तोपचांची सीएचसी को दी. इसके बाद मलेरिया जांच कराई गई. वह पीएफ और पीवी (प्लासमोडियम वाइवेक्स) दोनों प्रकार के मलेरिया से पीड़ित पाया गया. बिरहोर को मलेरिया होने की सूचना पर विभाग के कान खड़े हो गए. वहां और लोगों की भी जांच की गई. जांच में गोवा से लौटे छोटा एतवा बिरहोर, उनतीया बिरहोर समेत एक अन्य भी संक्रमित मिले. वे 10 जुलाई को लौटे थे. तीनों को भी खतरनाक पीएफ मलेरिया है.
एक साथ चार बिरहोर के मलेरिया पीड़ित होने की सूचना के बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम ने बिरहोर बस्ती चलकरी समेत आसपास के क्षेत्रों में अभियान चलाकर फीवर मास सर्वे किया. चलकरी में 42, गणेशपुर में 32 और सिंहडीह के करमाटांड़ में 31 लोगों के ब्लड स्लाइड की जांच की गई. इनमें कोई मलेरिया से पीड़ित नहीं मिला. डॉक्टरों की मानें, तो चारों बाहर ही मलेरिया की चपेट में आ गए थे. उनके स्वास्थ्य की लगातार निगरानी की जा रही है. पीएफ मलेरिया को सबसे खतरनाक माना जाता है. इसमें मरीज को चक्कर आना, मांसपेशियों में दर्द, थकान, पेट दर्द, दौरे, मतली, उल्टी, बुखार व सिरदर्द आदि होता है. पिछले साल जिले में इसका एक केस मिला था. पीवी मलेरिया सबसे सामान्य मलेरिया है, जिसमें मौत नहीं के बराबर होती है.