धनबाद न्यूज़: आशीर्वाद टावर अग्निकांड ने जिले के बड़े भवनों में अग्निशमन के इंतजाम की पोल खोलकर रख दी है. इसमें शहर के कई बड़े अस्पताल भी शामिल हैं, जहां अग्निशमन का कोई इंतजाम नहीं है. स्थिति यह है कि 630 बेड वाले एसएनएमएमसीएच में आग पर काबू पाने के इंतजाम के नाम पर सिर्फ फायर एक्सटिंगिशर और अलार्म लगे हैं, जो इतने बड़े अस्पताल के लिए नाकाफी है. यही हाल दूसरे सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों का भी है.
एसएनएमएमसीएच में एक बार में लगभग दो हजार लोग होते हैं, जिनमें लगभग 500 मरीज, एक हजार के आसपास मरीज के परिजन और 500 के आसपास डॉक्टर और कर्मचारी होते हैं. इस भीड़ में बच्चों और वृद्धों के साथ चलने-फिरने में असमर्थ मरीजों की तादाद अधिक होती है. इसके अलावा कैंपस स्थित हॉस्टलों में बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं होते हैं. अस्पताल और कॉलेज में बिजली से चलने वाले भरी-भरकम मशीन के साथ-साथ काफी मात्रा में केमिकल होता है. आग के लिहाज से यह काफी संवेदनशील स्थान है. बावजूद यहां फायर फाइटिंग की कोई खास व्यवस्था नहीं है. अस्पताल की दीवार पर टंगे फायर एक्सटिंगिशर और फायर अलार्म को छोड़ दें, तो और कोई दूसरा इंतजाम नहीं है. आग लगने की बड़ी घटना होने पर अलार्म बजाकर लोगों को सचेत तो किया जा सकता है, लेकिन आग बुझाने की दिशा में तत्काल राहत का इंतजाम कर पाना मुश्किल है.
जानकारों की मानें, तो फायर एक्सटिंगिशर आग लगने की छोटी-मोटी घटनाओं में असर करता है. इसके इस्तेमाल से छोटी घटनाओं पर काबू पाया जा सकता है, लेकिन बड़ी घटनाओं में यह कारगर नहीं होता है. बड़ी आग को बुझाने में आम तौर पर यह ज्यादा काम नहीं कर पाता है.
सदर अस्पताल का भी यही हाल
सदर अस्पताल में भी फायर फाइटिंग के नाम पर सिर्फ फायर एक्सटिंगिशर लगा है. 100 बेड वाले इस अस्पताल में भी मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. भर्ती मरीजों की संख्या में भी इजाफा हो रहा है. यहां 28 फायर एक्सटिंगिशर हैं. कर्मचारियों को इसके इस्तेमाल का प्रशिक्षण नहीं है. जरूरत पड़ने पर उसका इस्तेमाल होना भी मुश्किल है.
अस्पताल में फायर एक्सटिंगिशर और अलार्म लगे हैं. आग पर काबू पाने के लिए बेहतर व्यवस्था को लेकर अधिकारियों के साथ वार्ता की जाएगी. प्रयास किया जाएगा कि इसका पुख्ता इंतजाम किया जाए.
-डॉ एके सिंह, प्रभारी अधीक्षक, एसएनएमएमसीएच
प्राइवेट अस्पताल भी बेहाल
पाटलिपुत्र नर्सिंग होम, एशियन जालान और असर्फी जैसे बड़े प्राइवेट अस्पतालों को छोड़ दें, तो अधिकांश प्राइवेट अस्पतालों में फायर फाइटिंग का कोई इंतजाम नहीं है. जिले में प्राइवेट अस्पतालों की संख्या 270 के आसपास है. ज्यादातर अस्पतालों को बिना फायर फाइटिंग के इंतजाम किए ही अस्पताल संचालन की अनुमति मिली हुई है.