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जम्मू और कश्मीर
जम्मू-कश्मीर के पहले विधानसभा चुनाव के लिए मतदाता सूची अक्तूबर तक होगा तैयार
Renuka Sahu
27 May 2022 4:32 AM GMT
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फाइल फोटो
जम्मू-कश्मीर के पहले विधानसभा चुनाव के लिए नई मतदाता सूची बनाने का काम शुरू कर दिया गया है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। जम्मू-कश्मीर के पहले विधानसभा चुनाव के लिए नई मतदाता सूची बनाने का काम शुरू कर दिया गया है। अक्तूबर तक मतदाता सूची को अंतिम रूप दिया जाएगा। मुख्य चुनाव अधिकारी की ओर से सभी डीसी के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये मतदाता सूची तैयार करने से संबंधित टाइम लाइन तय किया गया।
उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि जून से अगस्त मध्य तक मतदाता सूची बनाने का काम चलेगा। इसमें अगस्त मध्य तक ड्राफ्ट मतदाता सूची का प्रकाशन किया जाएगा। इसके बाद दो महीने मतदाता सूची में नाम शामिल करने, हटाने, संशोधन तथा अन्य प्रक्रियाओं को पूरा कर अक्तूबर में इसे अंतिम रूप दिया जाएगा।
सूत्रों ने बताया कि चुनाव कार्यालय की ओर से पुरानी मतदाता सूची में शामिल मतदाताओं को परिसीमन के बाद गठित विधानसभा हलकों के अनुसार समायोजित किया जा रहा है ताकि ड्राफ्ट सूची का प्रकाशन किया जा सके। इसमें 90 विधानसभा हलके में शामिल इलाके के मतदाताओं को एक साथ कर ड्राफ्ट मतदाता सूची तैयार किए जाने का काम शुरू हो गया है।
ज्ञात हो कि परिसीमन आयोग ने पांच मई को अपनी रिपोर्ट कानून मंत्रालय को सौंपी थी जो अब प्रभावी हो गई है। इसके अनुसार 43 सीटें जम्मू व 47 सीटें कश्मीर संभाग में हैं। पहली बार अनुसूचित जनजाति को आरक्षण दिया गया है। इसके साथ ही सात सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित होंगी।
तीन साल बाद मतदाता सूची हो रही तैयार
जम्मू-कश्मीर में तीन साल बाद मतदाता सूची के पुनरीक्षण (रिवीजन) का काम शुरू हो रहा है। यह काम 2019 से बंद था। राज्य पुनर्गठन अधिनियम के तहत विधानसभा क्षेत्रों के परिसीमन के मद्देनजर मतदाता सूची का काम नहीं हो पाया था। 2019 तक 70 लाख मतदाता थे। तीन साल तक पुनरीक्षण का काम बंद होने की वजह से 18 साल की आयु पूरा करने वाले शामिल नहीं हो सके। ऐसे में नई मतदाता सूची में ऐसे युवा शामिल होंगे।
पश्चिमी पाक शरणार्थी, गोरखा व बाल्मीकि समाज के लोग भी होंगे शामिल
जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटने के बाद अब पश्चिमी पाक शरणार्थी, गोरखा तथा बाल्मीकि समाज के लोगों को भी मतदाता सूची में शामिल होने का मौका मिल सकेगा। इन समाज के लोगों को जम्मू-कश्मीर के किसी भी चुनाव में शामिल होने का अधिकार नहीं था। 2019 में 370 हटने के बाद पहली बार इन्होंने पंचायत चुनावों में हिस्सेदारी की थी।
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