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जम्मू और कश्मीर
जम्मू से उठेगी पीओजेके को वापस लेने की आवाज, पुण्यभूमि स्मरण सभा का आयोजन आज
Renuka Sahu
8 May 2022 1:31 AM GMT
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फाइल फोटो
पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर को वापस लेने के लिए रविवार को जम्मू से आवाज उठेगी।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर (पीओजेके) को वापस लेने के लिए रविवार को जम्मू से आवाज उठेगी। संसद में पारित प्रस्ताव का हवाला देकर विस्थापितों को एकजुट करने की कोशिश होगी। पड़ोसी मुल्क की कायराना हरकत की भी विस्थापितों को याद दिलाई जाएगी। उनकी ओर से सहे गए दुख-दर्द को लोगों के साथ साझा किया जाएगा। मौका होगा संघ परिवार की ओर से रविवार को जम्मू में आयोजित पुण्यभूमि स्मरण सभा कार्यक्रम का। जम्मू-कश्मीर पीपुल्स फोरम की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम में जम्मू-कश्मीर ही नहीं बल्कि देशभर में रह रहे पीओजेके, छंब और 1965 और 1971 के युद्ध में विस्थापित हुए लोग जुटेंगे।
कार्यक्रम के आयोजकों का कहना है कि 15 अगस्त 1947 को सतत संघर्ष, बलिदानों व प्रयासों से भारत स्वतंत्र हुआ। कुछ ही महीनों बाद पाकिस्तान ने 22 अक्तूबर को कबायलियों को साथ लेकर आक्रमण कर दिया। इसमें सैकड़ों लोगों की हत्या कर दी गई। लाखों लोगों को जन्मभूमि छोड़कर दरबदर होना पड़ा। मीरपुर, भिंबर, कोटली, बाग पुलंदरी, सदनोती, मुजफ्फ राबाद, गिलगित-बाल्टिस्तान और पुंछ के लोगों को पलायन करना पड़ा।
सैकड़ों सैनिकों को प्राणों की आहुति देनी पड़ी। पाकिस्तान ने इन सभी इलाकों पर कब्जा कर लिया, जिसे पीओजेके के नाम से जाना जाता है। उनके अनुसार कबायलियों के आक्रमण में हजारों हिंदू और सिखों की निर्मम हत्या कर दी गई थी। उनके परिजनों को घरों में जिंदा जला दिया गया। महिलाओं पर भी जुल्म ढाए। इस नरसंहार के चलते हजारों हिंदू-सिख परिवारों को अपनी जन्मभूमि एवं संपत्ति छोड़कर पलायन करना पड़ा था। इस दौरान कई लोग अपनों से ऐसे बिछड़े कि उनका आज तक पता नहीं चला।
1965 और 1971 के भारत- पाकिस्तान युद्ध से प्रभावित सीमावर्ती क्षेत्र छंब से भी हजारों लोगों को पलायन कर विस्थापितों के रूप में जीवनयापन करना पड़ा। जम्मू-कश्मीर पीपुल्स फोरम के अध्यक्ष रमेश सभरवाल ने बताया कि संसद ने पीओजेके को वापस लेने का प्रस्ताव भी पारित किया हुआ है। ऐसे में विस्थापितों को सभा के माध्यम से जागरूक किया जाएगा।
राजनीतिक सशक्तीकरण के प्रयासों की भी दिलाई जाएगी याद
आयोजकों के अनुसार पीओजेके के हजारों विस्थापितों को जम्मू-कश्मीर की तत्कालीन सरकार की नीति के कारण जम्मू-कश्मीर के बाहर भी भटकने को विवश होना पड़ा। राज्य की सरकारों द्वारा उन्हें सात दशकों तक विभिन्न अधिकारों से वंचित रखा गया। कार्यक्रम में यह बताने की भी कोशिश की जाएगी कि भाजपा सरकार ने उनकी सुध ली और उन्हें साढ़े पांच लाख रुपये की मदद का एलान किया। साथ ही दो दिन पहले जारी परिसीमन आयोग की रिपोर्ट में राजनीतिक सशक्तीकरण के लिए सीटें आवंटित करने की केंद्र सरकार से सिफारिश की गई।
अपनी तरह का पहला ऐतिहासिक आयोजन
जम्मू-कश्मीर पीपुल्स फोरम के प्रो. राजीव रतन ने बताया कि पीओजेके के बलिदानियों को श्रद्धांजलि देने और अपने पूर्वजों की पुण्यभूमि का स्मरण करने के लिए यह अपनी तरह का पहला ऐतिहासिक आयोजन है। इसमें जम्मू-कश्मीर के सीमावर्ती जिले कठुआ, सांबा, जम्मू, राजोरी, पुंछ के साथ ही जम्मू संभाग के विभिन्न हिस्सों, राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश आदि राज्यों में बसे पीओजेके विस्थापित शामिल होंगे।
शहीदों के नाम होंगे प्रदर्शित, विस्थापितों का दर्द भी आएगा सामने
फोरम के सदस्य अशोक गुप्ता ने बताया कि समारोह स्थल पर शहीदों के नाम प्रदर्शित किए जाएंगे। अब तक लगभग एक हजार शहीदों के नाम एकत्र हो पाए हैं। इसके साथ ही उस समय की त्रासदी झेलने वाले बुजुर्ग जो अब 90 की उम्र पार कर चुके हैं, उनके दर्द और आंखों देखी लोगों के सामने रखी जाएगी। कहा कि विस्थापन का दर्द अब भी लोगों के दिलों में है।
स्मरण सभा में कई दिग्गज होंगे शामिल
पुण्यभूमि स्मरण सभा आठ मई को सुबह साढ़े 10 बजे महिला कॉलेज गांधीनगर (पद्मा सचदेव राजकीय महिला कॉलेज) में आयोजित होगी। इसमें पीठाधीश्वर श्री श्री 1008 स्वामी विश्वात्मानंद सरस्वती, महामंडलेश्वर स्वामी धर्मदेव, विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय संयुक्त महामंत्री डॉ. सुरेंद्र जैन, प्रसिद्ध फि ल्म अभिनेता-निर्माता मुकेश ऋ षि समेत कई सेवानिवृत्त जज शामिल होंगे।
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