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जम्मू और कश्मीर
जम्मू-कश्मीर में मौसम के उतार चढ़ाव से बढ़ रहे वायरल बुखार के मामले
Renuka Sahu
20 July 2022 4:18 AM GMT
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फाइल फोटो
मौसम के उतार चढ़ाव के बीच वायरल बुखार हावी है। इस बुखार की चपेट में बड़ी संख्या शहरवासी आए हैं।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। मौसम के उतार चढ़ाव के बीच वायरल बुखार हावी है। इस बुखार की चपेट में बड़ी संख्या शहरवासी आए हैं। बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक प्रभावित हैं। अस्पतालों में भी वायरल बुखार के पीड़ितों की संख्या में इजाफा हुआ है। यह हाईग्रेड बुखाकर 3 से 5 दिन तक रहकर शरीर को बुरी तरह से तोड़ रहा है। बुखार के साथ खांसी, जुकाम, सिरदर्द आदि की शिकायत हो रही है। डाक्टरों के अनुसार यह सामान्य प्रक्रिया में रहता है, लेकिन मौजूदा कोविड के अभी सक्रिय होने के कारण अधिक सतर्कता बरतने की जरूरत है।
मौसम में बदलाव के साथ लोग वायरल बुखार से पीड़ित हो रहे हैं। अधिकांश लोग तपिश से बचने के लिए वातानुकूलित कक्षों में रहते हैं और सीधे अधिक तापमान में बाहर निकल रहे हैं, जिससे बुखार की शिकायत हो रही है। इसी तरह ठंडे पानी का सेवन भी गला खराब करके बुखार दे रहा है। इस बुखार के दौरान शारीरिक क्षमता कमजोर पड़ने से प्लेटलेट्स की मात्रा कम हो जाती है, जिससे कई बार निजी लेबोरेटरी में ऐसे टेस्ट में प्लेटलेट्स कम आने पर लोग डेंगू समझ लेते हैं। मानव शरीर में सामान्य तौर पर प्लेटलेट्स ढाई से पौने दो लाख तक होते हैं। प्लेटलेट्स की मात्रा चालीस हजार से नीचे नहीं आनी चाहिए। मौजूदा डेंगू और कोविड के मामले भी सामने आ रहे हैं। जिससे तीनों में सामान्य लक्षण रहते हैं। जीएमसी के मेडिसिन विभाग के एचओडी डॉ. फैयाज वानी कहते हैं कि वायरल बुखार के गंभीर मरीजों को ही अस्पताल में भर्ती किया जाता है। सामान्य मामलों में उन्हें दवा देकर भेज दिया जाता है। ओपीडी में औसतन 400 मरीजों पर 20-30 प्रतिशत वायरल बुखार के पहुंच रहे हैं। वायरल बुखार होने पर तुरंत डाक्टर से चिकित्सा परामर्श लें। दवा के साथ पर्याप्त तरल पदार्थों का सेवन करें।
ये हैं लक्षण
1. हाईग्रेड बुखार 101-104 तक रहेगा
2. शरीर में तेज दर्द होना, मांसपेशियों में खिंचाव
3. बुखार के साथ उल्टी होना, चक्कर आना
ये उपाय कर पाएं वायरल से राहत
वायरल बुखार सामान्य है। इसका असर कुछ दिन तक रहता है, लेकिन उचित चिकित्सा सलाह या उपचार न लेने पर यह बिगड़ जाता है। आयुर्वेदिक स्तर पर अदरक, शहद और कालीमिर्च का रस बनाकर दिन में कम से कम तीन बार ले सकते हैं। इसके अलावा ग्लोये का काड़ा बनाकर उसका सेवन करें। ठंडे पानी और अन्य ठंडे पदार्थों के सेवन से परहेज करें।
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