जम्मू और कश्मीर

पुडुचेरी की तर्ज पर जम्मू-कश्मीर विधानसभा में कश्मीरी पंडितों और पीओजेके विस्थापितों को प्रतिनिधित्व देने की तैयारी

Renuka Sahu
5 May 2022 5:54 AM GMT
Preparations to give representation to Kashmiri Pandits and POJK migrants in Jammu and Kashmir Legislative Assembly on the lines of Puducherry
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फाइल फोटो 

पुडुचेरी की तर्ज पर जम्मू-कश्मीर विधानसभा में कश्मीरी पंडितों और पीओजेके विस्थापितों को प्रतिनिधित्व देने की तैयारी है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। पुडुचेरी की तर्ज पर जम्मू-कश्मीर विधानसभा में कश्मीरी पंडितों और पीओजेके विस्थापितों को प्रतिनिधित्व देने की तैयारी है। विधानसभा हलकों के निर्धारण के लिए न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) रंजना देसाई के नेतृत्व में गठित परिसीमन आयोग ने इस आशय के सिफारिश की तैयारी की है, जिसमें केंद्र सरकार को इनके मुद्दों पर विचार करने को कहा जाएगा। इसके तहत केंद्र सरकार को मनोनयन का अधिकार होगा। केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी में 30 सदस्यीय विधानसभा में केंद्र सरकार तीन सीटों पर मनोनयन करता है।

परिसीमन से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि परिसीमन आयोग ने पंडितों और विस्थापितों के मनोनयन संबंधी सिफारिश का पूरा खाका तैयार कर लिया है। इसमें कश्मीरी पंडितों के मनोनयन के पीछे के तर्कों का विस्तारपूर्वक हवाला होगा। इसका जिक्र होगा कि घाटी में आतंकवाद के चलते विस्थापन का दर्द झेल रहा पंडित समुदाय तीन से अधिक दशक बाद भी चुनावी प्रक्रिया में हिस्सा नहीं ले सकता है क्योंकि वे घाटी के बाहर रह रहे हैं। उनका वोट भी जम्मू, उधमपुर, दिल्ली और देश के अन्य राज्यों में है और वे वहीं वोट भी डालते हैं।
ऐसे में कश्मीर जाकर उनके लिए चुनाव लड़ना मुश्किल व जोखिम भरा है। इससे फिर से उनका राजनीतिक प्रतिनिधित्व का सपना अधूरा रह जाएगा। इस बात का भी उल्लेख होगा कि राज्य पुनर्गठन अधिनियम के अनुसार विधान परिषद का अस्तित्व समाप्त हो गया है, जिसमें मनोनयन हो सकता था। कश्मीरी पंडितों की ओर से आयोग को दिए गए ज्ञापन का भी हवाला हो सकता है जिसमें उन्होंने राजनीतिक प्रतिनिधित्व के लिए सीटें आरक्षित करने की मांग उठाई थी। इसके साथ ही पीओजेके विस्थापितों को भी प्रतिनिधित्व के लिए मनोनयन की सिफारिश की तैयारी है। इनके मुद्दे पर भी विचार करने को केंद्र सरकार से कहा जाएगा।
सूत्रों ने बताया कि आयोग की सिफारिशें कानून मंत्रालय के जरिये केंद्र सरकार के पास विचार के लिए जाएंगी। इसके बाद कानून बनाकर इसे अमली जामा पहनाया जाएगा। कश्मीरी पंडितों के लिए दो से तीन सीटों पर मनोनयन हो सकता है। हालांकि, यह पूरी तरह केंद्र सरकार पर निर्भर करेगा कि कितनी सीटों पर पंडितों और पीओजेके विस्थापितों को मौका दिया जाएगा।
लंबे समय से दर्द झेल रहे पंडितों को मिल सकेगा राजनीतिक रूप से सशक्त होने का मौका
परिसीमन आयोग की सिफारिशें यदि सिरे चढ़ीं तो लंबे समय से विस्थापन का दर्द झेल रहे कश्मीरी पंडितों को राजनीतिक रूप से सशक्त होने का मौका मिलेगा। यह समुदाय लंबे समय से विधानसभा की सीटें आरक्षित करने की मांग उठा रहा है। कश्मीरी पंडितों का कहना है कि उनकी बात उठाने वाला नुमाइंदा ही जब विधानसभा में नहीं होगा तो उन्हें न्याय कैसे मिलेगा। कैसे उनकी समस्याओं का समाधान होगा। इसलिए उन्हें राजनीतिक रूप से सशक्त बनाया जाना जरूरी है।
विधानसभा की प्रस्तावित तस्वीर
कुल सीटें: 90
कश्मीर संभाग : 47
जम्मू संभाग: 43
अनुसूचित जाति: 07
अनुसूचित जनजाति : 09
प्रत्येक लोकसभा में होंगे 18 विधानसभा क्षेत्र
जम्मू-कश्मीर की लोकसभा सीटों में भी परिसीमन आयोग ने फेरबदल किया है। अब कश्मीर व जम्मू दोनों संभागों के हिस्से ढाई-ढाई लोकसभा सीटें होंगी। पहले जम्मू संभाग में उधमपुर डोडा व जम्मू तथा कश्मीर में बारामुला, अनंतनाग व श्रीनगर की सीटें थीं। नई व्यवस्था के तहत अनंतनाग सीट को अब अनंतनाग-राजोरी पुंछ के नाम से जाना जाएगा यानी जम्मू सीट से दो जिले राजोरी व पुंछ निकालकर अनंतनाग में शामिल कर किए गए हैं। प्रत्येक लोकसभा सीट में 18 विधानसभा सीटें होंगी। उधमपुर सीट से रियासी जिले को निकालकर जम्मू में जोड़ा गया है।
सात सीटें बढ़ीं, इनमें छह जम्मू व एक कश्मीर में
राज्य पुनर्गठन अधिनियम के अनुसार विधानसभा की सात सीटें बढ़ाई जानी हैं। इससे विधानसभा में सदस्यों की संख्या 83 से बढ़कर 90 की जानी हैं। केंद्र शासित प्रदेश बनने से पहले विधानसभा में सीटों की संख्या 87 थी जिसमें चार सीटें लद्दाख की थीं। लद्दाख के अलग होने से 83 सीटें रह गईं, जो बढ़ने के बाद 90 हो जाएंगी। परिसीमन आयोग ने सात सीटों में एक सीट कश्मीर और छह सीटें जम्मू संभाग में बढ़ाई हैं।
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