जम्मू और कश्मीर

Jammu-Kashmir: इस जिले में बदल रहे हैं हालात, गूंज रही जयकारे

Sarita
31 March 2025 6:12 AM GMT
Jammu-Kashmir:  इस जिले में बदल रहे हैं हालात, गूंज रही जयकारे
x
Jammu-Kashmir: आतंकवाद के काले दौर में खंडहर बन चुके मंदिरों का अब पुनरुद्धार हो रहा है। राजौरी जिले के थन्नामंडी कस्बे में स्थित देवी धक्का मंदिर 4 दशक बाद नवरात्रि के अवसर पर भक्तों के जयकारों से गूंज रहा है। 1990 के बाद आतंकवाद के कारण बड़े पैमाने पर हिंदू परिवारों का पलायन हुआ था, जिसके कारण इलाके के कई प्राचीन मंदिर खंडहर में तब्दील हो गए थे। अब हालात बदलने के साथ ही श्रद्धालु फिर से इन मंदिरों की ओर लौट रहे हैं।
इतिहास और संघर्ष की कहानी
थन्नामंडी कभी दूध की मंडी के रूप में मशहूर थी और यहां बड़ी संख्या में हिंदू परिवार रहते थे। महाराजा गुलाब सिंह ने 1846 में देवी धक्का मंदिर का निर्माण कराया था। 1947, 1965 और 1971 के भारत-पाक युद्धों और 1990 के दशक में आतंकवाद के कारण हिंदू परिवार पलायन करने को मजबूर हुए। इस पलायन के कारण मंदिरों की देखभाल करने वाला कोई नहीं बचा और वे धीरे-धीरे खंडहर में तब्दील हो गए। कुछ मंदिरों की भूमि पर अवैध कब्जा भी था, जिसे अब मुक्त कराने का प्रयास किया जा रहा है। श्रद्धालुओं की वापसी, मंदिरों का पुनर्निर्माण बदलते हालात के साथ राजौरी व अन्य क्षेत्रों में बसे हिंदू परिवार फिर से इन मंदिरों की ओर रुख कर रहे हैं। रविवार को प्रथम नवरात्र पर देवी धक्का मंदिर में भव्य सत्संग व भंडार का आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया। मंदिर की मरम्मत का कार्य भी चल रहा है और जल्द ही यहां नियमित पूजा-अर्चना के लिए पुजारी की नियुक्ति कर दी जाएगी। मंदिर कमेटी के अनुसार अब मंदिर में सीसीटीवी कैमरे भी लगाए जाएंगे, ताकि सुरक्षा बनी रहे और मंदिर की संपत्ति की रक्षा हो सके। देवी धक्का मंदिर के अलावा आसपास स्थित राधा-कृष्ण मंदिर, शिव मंदिर व अन्य देवी-देवताओं के मंदिर भी खंडहर बन चुके हैं। इनमें स्थित शिवलिंग खंडित हो चुके हैं और मूर्तियां भी नहीं हैं। पलायन कर चुके परिवारों के सदस्य अब इन मंदिरों को फिर से आबाद करने का प्रयास कर रहे हैं। हाल ही में स्थानीय प्रशासन व सामाजिक संगठनों ने भी इस पुनर्निर्माण अभियान में सहयोग का आश्वासन दिया है। सिद्ध संतों का गहरा नाता
कई सिद्ध संतों का इस स्थान से गहरा नाता रहा है। 1800 में बाबा बालक दास जी ने यहां पूजा-अर्चना शुरू की, जिनके बाद बाबा गोवर्धन दास जी और फिर बाबा दुर्गा दास जी ने इस मंदिर की सेवा की। इसके बाद पंडित बंसीलाल जी ने सालों तक इस मंदिर में पूजा-अर्चना की।
मंदिर में स्थापित प्राचीन मूर्तियां
इस मंदिर में कई प्राचीन और पवित्र मूर्तियां शामिल हैं, जिनमें माता रानी कलकत्ता वाली, बाबा नरसिंह जी, शेरा वाली माता और बाबा काली वीर जी की मूर्तियां प्रमुख हैं। माता रानी कलकत्ता वाली को जो भी चढ़ावा चढ़ाया जाता था, वह कलकत्ता जाता था। इन मंदिरों के जीर्णोद्धार से क्षेत्र में धार्मिक आस्था और मजबूत होगी।
प्राचीन बावड़ी का जीर्णोद्धार
राधा-कृष्ण और शिव मंदिर के पास एक प्राचीन बावड़ी भी स्थित है, जिस पर आज भी उसी दशक की पेंटिंग बनी हुई हैं। मंदिर समिति के सदस्यों ने इसके जीर्णोद्धार की योजना बनाई है। इस बावड़ी का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व है और इसके जीर्णोद्धार से क्षेत्र में धार्मिक पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। मंदिर समिति के सदस्य संगीत गंडोत्रा ​​ने बताया कि 32 साल बाद जब उन्होंने इस बावड़ी का दौरा किया तो उनकी पुरानी यादें ताजा हो गईं और आंखें नम हो गईं।
भविष्य की योजनाएं
मंदिर समिति के सदस्य संगीत गंडोत्रा, नवनीत कुमार, रोहित गंडोत्रा, संजय शर्मा और अशोक मेहता ने बताया कि देवी धक्का मंदिर के पुनर्निर्माण के बाद अन्य मंदिरों के जीर्णोद्धार की तैयारी की जा रही है। जल्द ही मंदिरों की खोई हुई रौनक लौटेगी। इस बार नवरात्रि के पावन अवसर पर जागरण और रामनवमी पर शोभा यात्रा निकालने की योजना बनाई जा रही है। इसके साथ ही मंदिर परिसर में धर्मशाला और भंडारा स्थल बनाने की योजना पर भी विचार किया जा रहा है।
आस्था की नई शुरुआत
चार दशक बाद इन मंदिरों में फिर से श्रद्धालुओं की भीड़ जुटना एक सकारात्मक संकेत है। यह न केवल धार्मिक पुनर्जागरण का प्रतीक है बल्कि सामाजिक समरसता का भी उदाहरण है। बदलते समय के साथ, आशा है कि थन्नामंडी के मंदिर जल्द ही अपना पुराना गौरव पुनः प्राप्त कर लेंगे।
Next Story