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जम्मू और कश्मीर
जम्मू-कश्मीर विधानसभा की 24 सीटें आज भी हैं खाली, बैठने वाला कोई नही
Ritisha Jaiswal
20 May 2022 1:12 PM GMT
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जम्मू-कश्मीर विधानसभा में गुलाम जम्मू-कश्मीर की 24 सीटें आज भी खाली ही हैं। जब-जब विधानसभा के चुनाव होते हैं
जम्मू-कश्मीर विधानसभा में गुलाम जम्मू-कश्मीर की 24 सीटें आज भी खाली ही हैं। जब-जब विधानसभा के चुनाव होते हैं और सभी सीटें भर ली जाती हैं, लेकिन गुलाम जम्मू-कश्मीर की सीटों पर बैठने वाला कोई नही।
हाल ही में परिसीमन समिति ने सरकार को सिफारिश की कि इन सीटों में से 8 सीटों को गुलाम जम्मू-कश्मीर के विस्थापितों से भरा जाना चाहिए। उसके उपरांत अब गुलाम जम्मू-कश्मीर के विस्थापितों में यह मामला तूल पकड़ने लगा है। विभिन्न संगठन मांग कर रहे हैं कि 8 नही 12 सीटें विस्थापितों से भरी जानी चाहिए। क्योंकि गुलाम जम्मू-कश्मीर से तकरीबन 13 लाख लोग विस्थापित हुए थे और आबादी के हिसाब से हमारी इतने ही पद बनते हैं। गुलाम जम्मू-कश्मीर के विस्थापित आज जम्मू व देश के अन्य राज्यों में रह रहे हैं।
एसओएस इंटरनेशनल के प्रधान राजीव चुनी ने कहा कि गुलाम जम्मू-कश्मीर के विस्थापितों की आवाज भी तभी बुलंद होगी जब इनके प्रतिनिधि विधानसभा में होंगे। इसलिए अब समय आ गया है कि गुलाम जम्मू-कश्मीर के विस्थापितों को राजनीति में आरक्षण चाहिए। उन्होंने कहा कि अक्टूबर 1947 में लाखों हिंदू सिख लोगों को गुलाम जम्मू-कश्मीर से विस्थापित होना पड़ा, क्योंकि पाकिस्तानी कबायलियों ने वहां पर कब्जा कर लिया था।
यह लोग आज जम्मू व देश के अन्य राज्यों में टिके हुए हैं लेकिन आज तक इनका पुनर्वास नही हो पाया। 1994 में संसद में प्रस्ताव पारित हुआ कि पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर को छुड़वाया जाएगा, लेकिन 28 साल का समय बीत गया मगर इलाके खाली नही करवाए गए। ऐसे में गुलाम जम्मू-कश्मीर के विस्थापित दर बदर हो कर रह गए। अब गुलाम जम्मू-कश्मीर की कम से कम 12 सीटें इन विस्थापितों से भरी जानी चाहिए ताकि गुलाम जम्मू-कश्मीर की विधानसभा क्षेत्रों में होने वाली हर हरकतों का यह प्रतिनिधि सवाल खड़े कर सकें।
अक्टूबर 1947 में पाकिस्तानी सेना के इशारे पर कबायलियों ने जम्मू कश्मीर के मीरपुर, भिंबर, कोटली, मुजफ्फराबाद क्षेत्र पर हमला बोल दिया था। इन इलाकों पर पाक सेना ने कब्जा कर लिया। ऐसे में यहां रह रहे हिंदू-सिख लोगों को विस्थापित होना पड़ा था। कई विस्थापितों को अपनी जानें भी गंवानी पड़ी थी।
Ritisha Jaiswal
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