जम्मू और कश्मीर

लद्दाख में 2 ग्लेशियर तेज रफ्तार से पिघल रहे

Admin Delhi 1
5 March 2023 8:40 AM GMT
लद्दाख में 2 ग्लेशियर तेज रफ्तार से पिघल रहे
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लद्दाख: लद्दाख से हैरान करने वाली एक घटना सामने आई है. इस घटना ने वैज्ञानिकों को भी टेंशन में डाल दिया है. जांस्कर रीजन के डुरुंग-द्रुंग और पेन्सिलुंग्पा ग्लेशियर अलग-अलग रफ्तार से पिघल रहे हैं. डुरुंग-द्रुंग और पेन्सिलुंग्पा साल 1971 से 2019 तक क्रमशः 7.8 वर्ग किमी और 1.5 वर्ग किमी पीछे खिसक चुका है. चिंतित वैज्ञानिक जलवायु परिवर्तन और कई अन्य कारकों को ग्लेशियरों के पिघलने के लिए जिम्मेदार मानते हैं.

एक रिपोर्ट के अनुसार वैज्ञानिक इस बात से भी हैरान हैं कि सिर्फ 1 किमी की हवाई दूरी पर होने के बावजूद ग्लेशियर अलग-अलग गति से पिघल रहे हैं. वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी (डब्ल्यूआईएचजी) के वैज्ञानिकों मनीष मेथा, विनीत कुमार, पंकज कुंमार और कलाचंद सेन द्वारा लिखे गए निष्कर्षों को हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय, सहकर्मी-समीक्षा पत्रिका 'सस्टेनेबिलिटी' में प्रकाशित किया गया था.

ग्लेशियर लद्दाख में 14,612 फीट की ऊंचाई पर पेन्सी-ला पास में स्थित हैं. डुरुंग-द्रुंग ग्लेशियर 72 वर्ग किमी में फैला हुआ है. इसने 7.8 वर्ग किमी बर्फ खो दी है, जो इसके कुल सतह क्षेत्र का 10 प्रतिशत है. वहीं पेन्सिलुंग्पा 16 वर्ग किमी में फैला एक छोटा ग्लेशियर, 1.5 वर्ग किमी खो चुका है, जो इसके कुल क्षेत्रफल का 8 प्रतिशत है.

अध्ययन के अनुसार, साल 1971 से 2019 तक डुरुंग-द्रुंग प्रति वर्ष 13 मीटर और पेन्सिलुंग्पा 5.6 मीटर प्रति वर्ष पीछे हटा है. अध्ययन के प्रमुख लेखक मनीष मेथा ने कहा 'ग्लेशियर का पीछे हटना न केवल जलवायु परिवर्तन से प्रभावित है बल्कि ग्लेशियरों की 'स्थलाकृतिक सेटिंग और आकृति विज्ञान' से भी प्रभावित है.एक ही भूगोल में स्थित दो ग्लेशियर और समान जलवायु परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है, फिर भी एक अलग तरीके से पीछे हटना, इंगित करता है कि खेल में कई अन्य कारक हैं.'

उनहोंने आगे कहा कि 'ग्लेशियर आकार, ऊंचाई सीमा, ढलान, पहलू, मलबे के आवरण के साथ-साथ ग्लेशियरों की विषम प्रतिक्रिया को प्रभावित कर रही है.' अध्ययन में उल्लेख किया गया है कि ग्लेशियरों के पीछे हटने में जलवायु परिवर्तन एक महत्वपूर्ण कारण है. इसके कारण आने वाले दिनों में जल संसाधनों मे कमी हो सकती है.

वांगचुक ने लद्दाख में 'ऑल इज नॉट वेल' कहा. उन्होंने कहा कि लद्दाख में पर्यटन और वाणिज्यिक गतिविधियों के कारण केंद्रशासित प्रदेश में दो तिहाई ग्लेशियर पिघल गए हैं, जिससे जल संसाधनों में कमी आएगी. इसके साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से नाजुक क्षेत्र की रक्षा करने का आग्रह किया है.

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