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पानी के महत्व के बारे में जागरूकता पैदा करने और इसके संरक्षण के प्रयासों को बढ़ाने के लिए, डॉ. वाईएस परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी के मृदा विज्ञान और जल प्रबंधन विभाग ने आज परिसर में विश्व जल दिवस मनाया।
विभाग ने जानकारीपूर्ण व्याख्यान आयोजित किए, जिसमें संकाय और कर्मचारियों के साथ-साथ विभिन्न विषयों के 148 छात्रों ने भाग लिया। इस अवसर पर विभागाध्यक्ष डॉ. एमएल वर्मा ने प्रतिभागियों को बताया कि मीठे पानी के महत्व की ओर ध्यान आकर्षित करने और मीठे पानी के संसाधनों के स्थायी प्रबंधन की वकालत करने के लिए 1993 से हर साल विश्व जल दिवस मनाया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि इस वर्ष विश्व जल दिवस की थीम 'शांति के लिए जल' है। वर्मा ने कहा कि, “स्थायी जल प्रबंधन व्यक्तियों और समुदायों के लिए स्वास्थ्य, खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा, प्राकृतिक खतरों से सुरक्षा, शिक्षा, बेहतर जीवन स्तर और रोजगार, आर्थिक विकास और विभिन्न प्रकार की पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं सहित कई लाभ उत्पन्न करता है। इन लाभों के माध्यम से ही जल समृद्धि की ओर ले जाता है और इन लाभों के न्यायसंगत बंटवारे से शांति को बढ़ावा मिलता है।''
आयोजन के दौरान विशेषज्ञों द्वारा जल संरक्षण के उपाय, सटीक खेती, वर्षा जल संचयन, जीवनशैली में बदलाव, कृषि में पानी जैसे कुछ विषय शामिल थे। नेटाफिम के एक विशेषज्ञ द्वारा स्वचालन और ड्रिप सिंचाई पर एक विशेषज्ञ व्याख्यान दिया गया, जबकि डॉ. घनश्याम अग्रवाल और विभाग के अन्य वैज्ञानिकों ने भी संरक्षण, कुशल उपयोग और कृषि से संबंधित विभिन्न विषयों पर छात्रों को संबोधित किया।
छात्रों और कर्मचारियों को कृषि जल संरक्षण तकनीकों, जल संचयन संरचनाओं, सटीक खेती मॉडल, ड्रिप सिंचाई तकनीक, स्प्रिंकलर सिंचाई और विभिन्न प्रकार की मल्चिंग पर व्यावहारिक प्रदर्शन दिया गया।