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बीज की टेंशन खत्म, मंडी में अब होगी मोटे अनाज की खेती
मंडी न्यूज़: हिमाचल प्रदेश में पारंपरिक फसलों में मोटे अनाज को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। इसी कड़ी में मंडी जिले के किसान अब मौसमी फसलों के साथ-साथ बाजरा की भी खेती करेंगे जो पूर्वजों के समय में उगाई जाती थी। क्योंकि मंडी जिले के कृषि विभाग में 1928 किलो मोटे अनाज की खेप पहुंच चुकी है. इससे किसानों को न अधिक न कम बारिश होने की टेंशन नहीं रहेगी। अन्य फसलों की अपेक्षा मोटे अनाज वाली फसलों में पोषक तत्व अधिक होते हैं। साथ ही किसी भी मौसम में फसल की अच्छी पैदावार होती है। बता दें कि कृषि विभाग मंडी में इस बार 1928 किलो मोटा अनाज पहुंचा है। जिसे विभाग ने सभी प्रखंडों में भेज दिया है. कृषि विभाग के पास रागी (मंडल) के 1000 किलोग्राम बीज, कोड़ा (कोडरा) के 228 किलोग्राम बीज और कौनी के 700 किलोग्राम बीज की पहुंच है। जिसे मांग के अनुरूप जिले के सभी प्रखंडों में भेज दिया गया है. एनएफएसएम योजना के तहत किसानों को मोटा अनाज सब्सिडी पर दिया जा रहा है।
कृषि विभाग ने रागी बीज का भाव 122 रुपये, कोड़ा (कोडरा) का 116 रुपये प्रति किलोग्राम और कौनी का 152 रुपये प्रति किलोग्राम निर्धारित किया है. तीनों बीजों के लिए 30 रुपये प्रति ग्राम निर्धारित किया गया है। जिससे किसान अनुदान से मोटा अनाज खरीद सकते हैं। इस संबंध में कृषि विभाग ने भी इस बार शिविरों के माध्यम से किसानों को मोटा अनाज उगाने के लिए जागरूक किया है, ताकि अधिक से अधिक किसान मोटे अनाज की खेती कर सकें. क्योंकि मोटे अनाज में बारिश की ज्यादा जरूरत नहीं होती है. इसके अलावा जंगली जानवर भी इस फसल को बहुत कम नुकसान पहुंचाते हैं। मोटे अनाज में कई पोषक तत्व पाए जाते हैं. पूर्वजों के समय मोटे अनाज की खेती अधिक होती थी। जिससे पूर्वज मोटा अनाज खाकर स्वस्थ जीवन व्यतीत करते थे। बहुत कम बीमारियाँ उसे पकड़ती थीं। यही वजह है कि केंद्र सरकार और राज्य सरकार मोटे अनाज के प्रति किसानों को जागरूक करने में लगी हुई है, ताकि हमारे किसान फिर से खेती करके खुशहाल जीवन जी सकें।
रागी को सुपरफूड कहा जाता है। क्योंकि यह जरूरी पोषक तत्वों से भरपूर होता है। रागी में अन्य अनाजों की तुलना में 5 से 30 गुना अधिक कैल्शियम होता है। राष्ट्रीय पोषण संस्थान के अनुसार, 100 ग्राम रागी में 344 मिलीग्राम कैल्शियम होता है, जो पूरे दिन की कैल्शियम की आवश्यकता को पूरा करने के लिए पर्याप्त होता है। इससे हड्डियां, दांत मजबूत रहते हैं और ऑस्टियोपोरोसिस (हड्डियों से संबंधित बीमारी) से बचाव होता है। कैल्शियम से भरपूर होने के कारण रागी के फायदे बढ़ते बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए बढ़ जाते हैं। रागी के सेवन से शरीर में ब्लड शुगर लेवल स्थिर रहता है। इससे जल्दी भूख नहीं लगती है। साथ ही वजन बढ़ने की समस्या से भी निजात मिलती है। चावल और गेहूँ की अपेक्षा कोड़ा (कोदरा) खाना उत्तम है। अब इसे अपनाने की जरूरत है।