हिमाचल प्रदेश

मां-बेटे के मिलन का प्रतीक रेणुका जी अंतरराष्ट्रीय मेले का शुभारंभ, सीएम ने भगवान परशुराम की पालकी को दिया कंधा

Shantanu Roy
13 Nov 2021 3:45 PM GMT
मां-बेटे के मिलन का प्रतीक रेणुका जी अंतरराष्ट्रीय मेले का शुभारंभ, सीएम ने भगवान परशुराम की पालकी को दिया कंधा
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मां-बेटे के मिलन का प्रतीक अंतरराष्ट्रीय श्री रेणुका जी मेले (International Shri Renuka Ji Fair) का आज यानी शनिवार को विधिवत आगाज हो गया है. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर (Chief Minister Jairam Thakur) ने मेले का शुभारंभ कर प्रदेशवासियों को अंतरराष्ट्रीय मेले की बधाई दी.

जनता से रिश्ता। मां-बेटे के मिलन का प्रतीक अंतरराष्ट्रीय श्री रेणुका जी मेले (International Shri Renuka Ji Fair) का आज यानी शनिवार को विधिवत आगाज हो गया है. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर (Chief Minister Jairam Thakur) ने मेले का शुभारंभ कर प्रदेशवासियों को अंतरराष्ट्रीय मेले की बधाई दी. मुख्यमंत्री ने ददाहू खेल मैदान में देव-पूजन करने के बाद भगवान परशुराम (Lord Parshuram) की पालकी को कंधा दिया और विधिवत शोभायात्रा का शुभारंभ किया. इस दौरान मुख्यमंत्री के साथ उनकी धर्मपत्नी साधना ठाकुर भी मौजूद रहीं.

शोभा यात्रा के साथ ही अंतरराष्ट्रीय मेले का शुभारंभ (Inauguration of International Shri Renuka Ji Fair) हो गया. शोभा यात्रा दोपहर बाद करीब तीन बजे स्थानीय खेल मैदान से शुरू होकर ददाहू बाजार, गिरिपुल, बड़ोन, देवशिला व मेला मैदान से होते हुए शाम ढलने से पूर्व रेणुका जी तीर्थ के त्रिवेणी संगम पर पहुंचेगी, जहां देवताओं का पारंपरिक मिलन होगा. इस मिलन को नजदीक से निहारने व इस पावन पलों के साक्षी बनने के लिए हजारों श्रद्धालुओं का हुजूम मेले में उमड़ पड़ा है. प्राकृतिक लोक वाद्य यंत्रों, शंख, घंटियाल, ढोल-नगाड़ों, बैंड बाजे के साथ निकाली गई.
इस मौके पर मीडिया से बात करते हुए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर (Chief Minister Jairam Thakur) ने कहा कि मेले हमारी समृद्ध संस्कृति के परिचायक हैं. रेणुका मेला हिमाचल के प्रसिद्ध मेलों में से एक है. उन्होंने प्रदेश और जिले के लोगों को मेले की शुभकामनाएं दी. मुख्यमंत्री ने कहा कि धीरे प्रदेश कोविड काल से निकल रहा है और मां रेणुका से प्रार्थना करेंगे कि जल्द प्रदेश कोविड के दौर से बाहर निकले, ताकि प्रदेश पुनः तरक्की की राह पर बढ़ सके.
बता दें कि हर साल मुख्यमंत्री ही देव पालकी (Dev Palki) को कंधा देकर शोभायात्रा का शुभारंभ करते हैं. यही परंपरा कई दशकों से चली आ रही है. शोभा यात्रा के दौरान पूरी रेणुका घाटी (Renuka Valley) माता रेणुका जी और भगवान परशुराम के जयकारों से गूंज उठी. लोगों ने ढोल नगाड़े की धुनों पर माता रेणुका और भगवान परशुराम के जयकारे लगाए. इस दौरान पारंपरिक वाद्य यंत्र लोगों के आकर्षण का केंद्र रहे.


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